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फेर बौद्ध बन गया, फेर जैनाचार्योके साथ जैन मतके खंडन करने में कमर बांधके चरचा करी, फेरभी हारा , फेर जैनकी दीक्षा लीनी, फेर हारा , इसीतरें कितनी वार जैनशास्त्र पढे, परंतु तिनका तत्व न पाया, पिछली विरीया तत्व पाया तो फेर बौद्ध नही हुआ ! जैनमत समझनां और पालनां दोनो तरेसें कठिन है, इस वास्ते बहत नहीं फैला है, किसी कालमे बहुत फैलाभी होवेगा, क्या निषेध है, इसीतरे मीमांसाका वार्तिककार कमारिल भदने और किरणावलिके कर्ता उदयननेभी कपटसें जैन दीक्षा लीनी, परंतु तत्व नही प्राप्त हुआ.
- प्र.१५३. जैनमतमें जो चौदहपूर्व कहे जाते है, वे कितनेक बडेथे और तिनमें क्या क्या कथन था, इसका संक्षेपसें स्वरूप कथन करो ?
उ. इस प्रश्नका उत्तर अगले यंत्रसें देख लेना. पूर्व नाम | पद संख्या शाहीलिख | विषय क्या है
नेमेकितनी उत्पाद एक करोड | १ एक हाथी | सर्व द्रव्य और सर्व पूर्व १ पद
जितने पर्यायांकी उत्पत्ति १००००००० | शाहीके ढेरसे का स्वरूप कथन करा है
लिखा जावे आग्रायणी ९६००००० | २ हाथीप्रमा | सर्व द्रव्य और सर्व पूर्व २ | छानवेलाख ण शाही सें | पर्याय और 4 जी
एवं सर्वत्र. | व विशेषांके प्रमाण
| का कथन है. वीर्यप्रवाद | सित्तरलाख ४ हाथी। कर्मसहित और कर्म पूर्व ३
| प्रमाण. | रहित सर्व जीवांका ७०००००० | और सर्व | अजीव
पदार्थोके वीर्य अर्थात्
शक्ति के स्वरूप का कथन है. अस्ति साठलाख ८ हाथी | जो लोक में धर्मास्ति नास्ति पद
प्रमाण. कायादि अस्तिरूप है प्रवाद ६००००००
और जो खर शृंगादि
पद.
पद.
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८
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