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________________ चौमासे करे केवली हुए. पीछे १२ राजगृह में ११ विशालामें ६ मिथलामें १ पावापुरीमें एवं सर्व ३० हुए. प्र. ८५. 1. श्री महावीरस्वामीका निर्वाण किस जगें और कब हुआ था ? उ. पावापुरी नगरी के हस्तिपाल राजा की दफतर लिखनेकी सभामें निर्वाण हुआ था, और विक्रम से ४७० वर्ष पहिलें और संप्रति कालके १८४५ के सालसें २४१५ वर्ष पहिलें निर्वाण हुआ था. प्र.८६. जिस दिन भगवंतका निर्वाण हुआ था सो कौनसा दिन वा रात्रिथी ? उ. भगवंतका निर्वाण कार्त्तिक वदि अमावस्याकी रात्रिके अंतमें हुआ था । प्र.८७. तिस दिन रात्रिकी यादगीरी वास्तके कोइ पर्व हिंदुस्थान में चलता है वा नही ? उ. हिंदु लोकमें जो दिवालीका पर्व चलता है, सो श्री महावीरके निर्वाणके निमित्तसेंही चलता है । प्र. ८८. दिवालिकी उत्पत्ति श्री महावीरके निर्वाणसें किसतरें प्रचलित हुइ है ? उ. जिस रात्रि में श्री महावीरका निर्वाण हुआ था, तिस रात्रिमें नव मल्लिक जातिके राजे और नव लेउकी जातिके राजे जो चेटक महाराजा के सामंत थे, तिनोने तहां उपवास रूप पोषध करा था, जब भगवंतका निर्वाण हुआ, तब तिन अठारहही राजायोंने कहाकि इस भरतखंड में भाव उद्योत तो गया, तिसकी नकलरूप हम द्रव्योद्योत करेंगे, तब तिन राजायोनें दीपक करे, तिस दिनसें लेकर यह दीपोत्सव प्रवृत्त हुआ है. यह कथन कल्पसूत्रके मूल पाठ में है. जो अन्य मत वाले दिवालीका निमित्त कथन कर तेहे, सो कल्पित है क्योंकि किसि मतकेभी मुख्यशास्त्रमें इस पर्वकी उत्पत्तिका कथन नही है. प्र.८९ भगवंत के निर्वाण होने के समय में शक्रंइंद्रे आयु वधावनेके वास्ते क्या विनती करी थी, और भगवंत श्री महावीरजीयें क्या उत्तर दीनाथा ? उ. शक्रइंद्रे यह विनती करीथी के, हे स्वामि एक क्षणमात्र अपना ४४ Jain Education International For Private & Personal Use Only के+के+ บ ร บ บ www.jainelibrary.org
SR No.003229
Book TitleJain Dharm Vishayak Prashnottara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Kulchandravijay
PublisherDivya Darshan Trust
Publication Year
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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