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उ. श्री महावीर के उपर तिनके माता पिताका अत्यंत राग था क्योंकि कल्पसूत्रमें लिखा है कि श्री महावीरजीने गर्भमें ऐसा विचार कराके मेरे हलने चलने सें मेरी माता दुख पावे है। इस वास्ते अपने शरीर को गर्भ में ही हलाना चलाना बंद करा. तब त्रिशला माताने गर्भके न चलने से मनमें ऐसे मानाके मेरा गर्भ चलता हलता नही है इस वास्ते गल गया है, तबतो त्रिसला माताने खान, पान, स्नान, राग, रंग सब छोडके बहुत आर्त्त ध्यान करना शुरु करा, तब सर्व राज्य भवन शोक व्याप्त हुआ । राजा सिद्धार्थनी शोक वंत हुआ. तब श्री महावीरजीने अवधिज्ञानसे यह बनाव देखा तब विचार कराके गर्भमे रहे मेरे उपर माता पिताका इतना बड़ा भारी स्नेह है तो जब में इनकी रुबरु दीक्षा लेऊंगा तो मेरे माता पिता अवश्य मेरे वियोगसें मर जाएगे, तब श्री महावीरजीने गर्भमेही यह निश्चय करा कि माता पिताके जीवते हुए मैं दीक्षा नही लेबुंगा ।
प्र. २६ . इन श्री महावीरजीका वर्द्धमान नाम किस वास्ते रखा गया । उ. जब श्री महावीरजी गर्भमें आये तबसें सिद्धार्थराजाकी सप्तांग राज्य लक्ष्मी वृद्धिमान् हुइ, तब माता पिताने विचाराके यह हमारे सर्व वस्तुकी वृद्धि गर्भके प्रभावसें हुई है। इस वास्ते इस पुत्रका नाम हम वर्द्धमान रखेंगे, भगवंतके जन्म पीछे सर्व न्यात वंशीयोंकी रूबरू पुत्रका नाम वर्द्धमान
रखा ।
प्र. २७. इनका महावीर नाम किसनें दीना ।
उ. परीषह और उपसर्गसें इनकों भारी मरणांत कष्ट तक हुए तोभी किंचित मात्र अपना धीर्य और प्रतिज्ञासें नही चलायमान हुए है, इस वास्ते इंद्र, शक्र और भक्त देवतायोंने श्री महावीर नाम दीना. यह नाम बहुत प्रसिद्ध है ।
प्र. २८. श्री महावीरकी स्त्रीका नाम क्या था और वह स्त्री किसकी बेटी
थी ।
उ. श्री महावीरकी स्त्रीका नाम यशोदा था, और सिद्धार्थ राजाका सामंत समरवीर की पुत्री थी जिसका कौडिन्य गोत्र था ।
प्र. २९. श्री महावीजीने यशोदा स्त्रीके साथ अन्य राज्य कुमारोंकी तरे
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