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परम्परा और आनंदघन : 45
टिप्पण
स्तुतिर्द्विधा प्रमाणरूपा, असाधारणगुणोत्कीर्तनरूपा च आवश्यक सूत्रे !
नवमी द्वात्रिंशिका, पं. सुखलालजी, प्रकाशक भारतीय विद्याभवन, बम्बई
(ई.स. 1945 )
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'स्तोत्रावली', प्रधान संपादक : पू. श्री यशोविजयजी महाराज, संपादक उपोद्घात : लेखक : डॉ. रुद्रदेव त्रिपाठी, पृ. 47 से 54 (1975)
'वीणा', ले. आचार्य क्षितिमोहन सेन, संपादक : कालिकाप्रसाद दिक्षित कुसुमाकर, वर्ष 12, अंक 1 (1938), पृ. 3 से 132 तक (क) आनंदघन एक अध्ययन, स्तवन : 4, गाथा: 5 (ख) आनंदघन एक अध्ययन, स्तवन : 13, गाथा : 6 (ग) आनंदघन एक अध्ययन, स्तवन : 16, गाथा 3
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