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अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन
द्वितीय परिच्छेद... [53]
कोश साहित्य और अभिधान राजेन्द्र
कथ्य परक । रुपपरक जानकारी से हमारा आशय है शब्द का मानक उच्चारण, मानक वर्तनी, शब्द, वर्ग संबंधी संरचना, लिङ्ग एवंवचन संबंधी सूचना, शब्द की व्युत्पत्ति, उत्पादक रुप, मानक बोलीगत, ग्राम्य, वर्जित आदि । (3) कथ्यपरक जानकारी के अंतर्गत शब्द का वस्त्वर्थ, लक्ष्यार्थ, शब्द से बनने वाले मुहावरे, भिन्न-भिन्न अर्थच्छटाएँ आदि। कोशों के प्रकार :श्री ललितमोहन बहुगुणा के अनुसार कोशों को आठ प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है -
(1) संदर्भ कोश (2) शैक्षिक कोश (3) ज्ञान कोश (4) व्याख्या कोश (5) वैचारिक कोश (6) सिद्धांत कोश (7) समकालिक कोश (8) द्विकालिक कोश ।
डॉ. भोलानाथ तिवारीने कोश के मल तीन प्रकार बताये
कोश विज्ञान भाषा विज्ञान की एक शाखा के रुप में माना जाता है क्योंकि भाषा परस्पर साकांक्ष शब्दों के मेल से बने हुए वाक्यों से गठित होती है। अर्थात् भाषा का प्रारंभिक घटक वाक्य है और वाक्य का घटक शब्द है। इस दृष्टि से भाषा विज्ञान के घटक के रुप में शब्द विज्ञान के अंतर्गत कोशविज्ञान को माना जा सकता है।।
यद्यपि यहाँ यह स्पष्ट कर देना उचित होगा कि शब्द का स्वरुप दो प्रकार से हैं : प्रथम, शब्द को एक भौतिक पदार्थ मानकर उसकी उत्पत्ति, उसके द्रव्यत्व, जडत्व, द्रव्यमान, विस्फोट, इत्यादि का दार्शनिक एवं भौतिक अध्ययन किया जाता है। दूसरे शब्द का भाषिक स्वरुप, शब्द और अर्थ का संबंध, एकार्थक और अनेकार्थक स्वरुपवाच्यता, निर्वचन, प्रकृति एवं शब्द की व्युत्पत्ति, व्याकरणिक कोटियाँ, इत्यादि विषयों का अध्ययन भी शब्दशास्त्र में किया जाता है, जिसे हम व्याकरण शास्त्र के नाम से जानते हैं-व्याक्रियन्ते विविच्यन्ते शब्दा, प्रकृतिप्रत्ययादयो वा येन तद्व्याकरणम्। प्रथम प्रकार के अध्ययन के कुछ अंशों को व्याकरण दर्शन एवं कुछ भाग को भौतिक विज्ञान में सम्मिलित किया जाता है। दूसरे प्रकार के शब्द विज्ञान में व्याकरण शास्त्र के अन्तर्गत ही शब्दार्थ विज्ञान को समाहित किया जाता है, जिसे हम कोशविज्ञान (Lexicology) कहते हैं। वस्तुतः कोश और कोशविज्ञान दोनों में मौलिक अन्तर है। कोश शब्दों का ऐसा संग्रह है जो कि विभिन्न दृष्टियों से शब्दों की जानकारी देने हेतु कोश निर्माण के सिद्धांतो के आधार पर तैयार किया जाता है इसलिए कोश को साधारण भाषा में Lexicography कहते हैं।
'कोष' एवं 'कोश' का अर्थ है - संग्रह। 'कोष' में द्रव्य तथा 'कोश' में शब्दों का संग्रह किया जाता है। कोश की उपलब्ध परिभाषाओं के आधार पर कोश-संकल्पना के मूल घटक हैं- (क) शब्द और (ख) अर्थ । भगवतीप्रसाद निदारिया के अनुसार 'कोश' ऐसा संदर्भ ग्रंथ होता है, जिसमें प्रयोक्ता की अपेक्षाओं के अनुसार शब्द/प्रविष्टि आर्थी संदर्भ/विवेचन क्रमबद्ध, सरल व सामासिक ढंग से प्रस्तुत किये गये हों। यथावश्यक चित्र आदि की मदद से कोश में शब्द/प्रविष्टि को स्पष्ट किया जाता हैं। कोश की परिभाषा:
सी.सी. वर्ग के अनुसार "कोश उन समाजीकृत भाषिक रुपों की व्यवस्थित तथा क्रमबद्ध सूची है जो किसी भाषा-भाषी समुदाय के वाग्व्यवहार से संग्रह किये गये हैं, और जिनकी व्याख्या कोशकार द्वारा इस प्रकार की गयी हो कि योग्य पाठक प्रत्येक रुप का स्वतंत्र अर्थ समझ सके तथा उस भाषिक रुप के सामूहिक प्रकार्य के समस्त तथ्यों से अवगत हो सके।" अर्थ के प्रकार:श्री कृष्णकुमार गोस्वामी के अनुसार अर्थ के सात प्रकार हैं -
(क) बोधात्मक (ख) व्याकरणिक (ग) संरचनात्मक (घ) सामाजिक (ड) लक्षणापरक (च) शैलीपरक और (छ) क्षेत्रीय अर्थ ।
श्री ललितमोहन बहुगुणा के अनुसार हमें 'कोश' से मोटे तौर पर दो प्रकार की जानकारी मिलती है - (1) रुप परक (2)
(1) व्यक्ति कोश (2) पुस्तक कोश (3) भाषा कोश । (1) व्यक्ति कोश - किसी एक व्यक्तिद्वारा प्रयुक्त शब्दों का कोश व्यक्ति कोश कहलाता है। शेक्सपियर, मिल्टन, तुलसीदास आदि के कोश इसी प्रकार के कोश हैं। (2) पुस्तक कोश - जब केवल एक पुस्तक में प्रयुक्त शब्दों का कोश बनाया जाये उसे पुस्तक कोश कहते हैं। जैसे, बाईबल कोश, कुरान कोश, मानस कोश (रामचरित मानस कोश आदि)। (3) भाषा कोश- इस तरह के कोशों में एक भाषिक कोश, द्विभाषिक कोश और बहुभाषिक कोशों का समावेश होता हैं। (क) एकभाषा कोश :- एकभाषा कोश में जिस भाषा का शब्द होता है उसी भाषा में उसका अर्थ होता है। संस्कृत पर्याय कोश इसी प्रकार के कोश हैं। (ख) द्विभाषिक कोश :- एक से अधिक भाषाओं के शब्दों के माध्यम से लिखे गये कोशों को बहुभाषा कोश कहते हैं। जैसे - संस्कृत-हिन्दी कोश, अंग्रेजी-हिन्दी कोश इत्यादी। (ग) बहुभाषिक कोश :- ये कोश दो या अधिक भाषाओं के हो सकते हैं। बहुभाषा कोश में अनेक प्रकार के कोशों का समावेश
1. भाषा विज्ञान : शब्द विज्ञान : कोश विज्ञान पृ. 389 -डो. भोलानाथ
तिवारी भाषाविज्ञान एवं भाषाशास्त्र, पृ. 19, - डो. कपिलदेव द्विवेदी; साधुत्वज्ञानविषय सैषा व्याकरणस्मृतिः। -वाक्यपदीय 1/42
देखें, भाषा विज्ञान, प्रवेश, भौतिकविज्ञान, पृ. 35 -डो. भोलानाथ तिवारी 4. भाषा विज्ञान : शब्द विज्ञान पृ. 389, - डो. भोलानाथ तिवारी
अनुवाद त्रैमासिकः कोश संकल्पना - भगवती प्रसाद निदारिया सी.सी. वर्ग की परिभाषा - अनुवाद त्रैमासिक : कोश निर्माण प्रक्रिया और अनुवाद में कृष्णकुमार गोस्वामी द्वारा उद्धृत अनुवाद त्रैमासिक : कोश निर्माण प्रक्रिया और अनुवाद कृष्णकुमार गोस्वामी अनुवाद त्रैमासिक : अनुवाद और कोश - ललितमोहन बहुगुणा
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