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________________ अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन सप्तम भाग : संखपुर संजय संतिदास सक्कह समुद्दपाल सयंभूदत्त सावत्थी सीह सुकण्हा सुक्क सुज्जसिरी सुद सुणक्खन सुदंसण सुभद्द सुभूम सुव्वय सूर सोमा हरिएस हरिभद्द Jain Education International शंखपुर संयत / संजय शांतिदास सत्कथ समुद्रपाल स्वयंभूदत्त श्रावस्ती शीघ्र / सिंह सुकृष्णा शुक्र/शुक्ल सूर्यश्री सुनन्द सुनक्षत्र सुदर्शन सुभद्र सुभूम सुव्रत सूर्य सोमा / सौम्या हरिकेश हरिभद्र कृष्ण जरासंघ युद्ध, श्रीकृष्ण द्वारा अषाढी श्रावक निर्मित श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा धरणेन्द्र- पद्मावती सं मंगवाकर अट्ठम तप आराधना के प्रभाव से विजय प्राप्ति एवं शंखेश्वर तीर्थ की उत्पति की कथा । प्राचीन काल में हुए तीन 'संजय' में से उत्तराध्ययन सूत्र में वर्णित कांपिल्यराज संजय की विस्तृत कथा । शांतिदास शब्द सप्तम भाग में है। अहमदाबाद निवासी इस श्रावक ने दानवीर जगडूशा की तरह अनेक धर्मकार्य किये। इसकी कथा 'धम्म संग्रह' शब्द पर चतुर्थ भाग में 2732 पृष्ठ पर है। 'सक्कह' शब्दवर्ती रोहिणी की कथा षष्ठ भाग में 'रोहिणी' शब्द पर पृ. 583 पर दी है। समुद्र में जन्मे चंपानगरीवासी समुद्रपाल जिन्होंने चौर को वध - स्थान की ओर ले जाता देख कर वैराग्यवासित होकर दीक्षा लेकर मोक्ष प्राप्त किया, उनकी विस्तृत कथा । तीव्र आरंभ-समारंभ, उसका फल, उसका त्याग करके दीक्षा अंगीकार कर निर्वाण प्राप्त करने वाले कंचनपुरवासी स्वयंभूदत्त की कथा । संभव जिन के देवताधिष्ठित मंदिर एवं प्रतिमा की स्वयं बुद्ध की, जामाली निह्नव की, स्कन्धक अनगार आदि श्रावस्ती नगरी संबंधी संक्षिप्ति कथाएँ । भगवान महावीर के अंतेवासी सिंह अणगार की अति संक्षिप्त कथा | श्रेणिक राजा की पट्टरानी सुकृष्णा, उनका आर्या सुकृष्णा के नाम से जीवन वृत्तांत (कथा) | षष्ठ परिच्छेद... [429] महाशुक्र नामक सप्तम देवलोक के इन्द्र के पूर्वभव की; वाराणसीवासी सोमिल ब्राह्मण की कथा । संयम धर्म की आराधना- विराधना, छः काय जीव परिभोग के विषय में सूर्यश्री एवं आनंद अनगार की अनेक भव की कथा । व्यवहार धर्म से संबंधित 12 वें तीर्थंकर वासुपूज्य स्वामी के भिक्षा दाता प्रत्येक बुद्ध सुनंद राजर्षि की कथा । भगवान महावीर के पास दीक्षा लेकर मोक्ष प्राप्त करने वाले काकंदीवासी भद्रा सार्थवाही के पुत्र सुनक्षत्र मुनि की कथा । राजगृहीवासी स्वनामधन्य नवकारमंत्राराधक अखंड शीलव्रतधारक श्रेष्ठी सुदर्शन की कथा । महावीर शासन में हुए कोणिक के पौत्र सुभद्र की कथा । सुभूम नामक आठवें चक्रवर्ती की संक्षिप्त कथा | जैनों के 20 वें तीर्थंकर मुनिसुव्रतस्वामी की एवं सुव्रत महर्षि की अति संक्षिप्त कथा । सूर्य के पूर्वजन्म की कथा । गजसुकुमार मुनि की सांसारिक पत्नी सोमा की संक्षिप्त कथा | गोत्र मद के विषय में चांडाल कुल में उत्पन्न होकर दीक्षा लेकर आत्म-कल्याण करने वाले उत्तराध्ययनवर्ती हरिकेशी मुनि की कथा । स्वनामधन्य याकिनीमहत्तरासूनु, 1444 ग्रंथों के रचयिता हरिभद्रसूरि की संक्षिप्त कथा एवं परिचय | जय संघचंद । तवसंजममयलछण, अकिरियराहुमुहहदुद्वरिस निच्चं । जय संघचंद । निम्मल-सम्मत्तविसुद्धजोणहागा ॥1॥ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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