________________
[428]... षष्ठ परिच्छेद
लवालव
लूसग लेहसाला
लोभ
वइरजंघ
वइरणाभ
वंसग
वग्धी
वत्थ
वरुण
वसण
वसहि
वसु
वाणारसी
वासपूयाफल
वासुदेव
विजयकुमार
विजयसेट्ठि
विज्जा
विणओवगय
विणय
विणयकम्म
विणयंधर
विहुकुमार
विदुगुंछा
विमल
विसोहि
विहार
वीर
गायि
या
वेयणा
Jain Education International
लवालव
लूषक लेखशाला
लोभ
वज्रजंघ
वज्रनाभ / वैरनाभ
व्यंसक
व्याधी
वस्त्र
वरुण
वसन, वृषण, व्यसन
वसति
वसु
वाराणसी
वासपूजाफल
वासुदेव
विजयकुमार
विजय श्रेष्ठी
विद्या
विनयोपगत
विनय
विनयकर्मन्
विनयंधर
विष्णुकुमार
विज्जुगुप्सा
विमल
विशोधि (विशुद्धि)
विहार
वीर
व्युद्ग्राहित
वैनयिकी
वेदना
अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन
(3) राजगृहवासी धनरक्षक सार्थवाह की बुद्धि निधान पत्नी रोहिणी की कथा, जिसने पांच डांगर के दाने से 500 बैलगाडी भरकर चावल पकाये।
कालानुपेक्षण पूर्वक समाचारी अनुष्ठान के विषय में भृगुपुर (भरुच) के आचार्य की
कथा ।
धूर्त और मोदक की ठगाई के विषय में उपनयकथा ।
भगवान महावीर के लेखशाला (ज्ञानशाला) प्रवेश की कथा ।
अतिलोभ के विषय में वानरयुगल और कामिक तीर्थ की कथा, लोभ के विषय में जिनदत्त श्रावक और नन्द वणिक की कथा ।
ऋषभदेव नामक जैनों के प्रथम तीर्थंकर के पूर्व के छः भव की कथा ।
ऋषभदेव तीर्थंकर का पूर्व के चक्रवर्ती भव का नाम, यहाँ ऋषभदेव के पौत्र सोमप्रभ के पुत्र श्रेयांसकुमार आदि के स्वप्न की कथा ।
ग्रामीण और धूर्त की कथा ।
शत्रुंजय तीर्थ के मुख्य द्वार पर रही बाघण की मूर्ति की कथा ।
साधुओं को वस्त्र ग्रहण करने के विषय में अश्व एवं गृहपति की कथा ।
सदागम और दृष्टिराग के विषय में वरुण सुलस और द्वेषगजेन्द्र की कथा । व्यसन के विषय में दो भाईयों की कथा ।
जयंती श्राविका की तथा 'सुखमोचा' वसति के विषय में कुटुम्बी और धूर्त की
कथा ।
साध्वाचार पालन, चरणकरणसित्तरी के पालन एवं शास्त्राध्ययन के विषय में वसु श्रेष्ठपुत्र की कथा ।
सुपार्श्वजिन, श्री पार्श्वनाथ, श्री जय-विजय मुनि, धर्मघोष मुनि, धर्मयश मुनि एवं सत्यवादी हरिचन्द्र राजा की कथा ।
वासक्षेप पूजा के लाभ के विषय में जितशत्रु राजा की कथा ।
कृष्ण वासुदेव की तीन भेरी की कथा ।
लज्जा के विषय में विशाला के राजा विजयकुमार की कथा ।
क्षमा एवं गाम्भीर्य गुण के ऊपर विजयवर्धनपुरवासी विजय सेठ की कथा ।
विद्या के विषय में भिक्षु उपासक की दृष्टांत कथा ।
विनय के विषय में उज्जैनवासी ब्राह्मण की कथा ।
विनय के विषय में श्रेणिकराजा और चाण्डाल की कथा ।
पुष्पशालपुत्र की कथा ।
कृतज्ञता गुण संबंधी श्रावक विनयंधर की कथा ।
वैक्रिय लब्धि संपन्न शासन प्रभावक विष्णुकुमार मुनि की कथा ।
साधु के मल-मलिन गात्र, वस्त्र आदि की निंदा के विषय में श्रावक पुत्री की
कथा ।
अनर्थदण्ड विरमणव्रत के विषय में विमल और सहदेव की कथा ।
विशुद्धि के विषय में आठ दृष्टांत कथा ।
गीतार्थादि की निश्रा में विहार संबंधी गोपालक (ग्वाले) के समूह कथा ।
महावीर स्वामी की कथा (इसमें जैनों के चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी से संबंधित
सभी कथाएँ एवं पूरा जीवन वृतांत है।)
वणिक, कुमारनन्दी स्वर्णकार एवं अन्धभक्त की कथा ।
विनय - गुरुशुश्रुषा - संस्कारजन्य वैनयिकी बुद्धि के विषय में सिद्धपुत्र और उनके दो शिष्यों की कथा एवं वैनयिकी बुद्धि के विषय में अन्य बहुत सी संक्षिप्त दृष्टांत कथाएँ ।
धर्मरुचि अणगार और कडवे तुम्बे की कथा ।
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org