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[422]... षष्ठ परिच्छेद
कुलवालग कुलवालक कोकावसहिपासणाह कोकावसतिपार्श्वनाथ
कोडसिला
कोहंडिदेव
कोहपिण्ड
खंदग
खंदिल
खलुंक
खुड्डुग
खुल्लक
खुहापरिसह
खेत्त
गंगदत्त
गभ्भसाहरण
गयसुकुमाल गवेसणा
गारव
गिलाण
गिहवास
गुरु
गुरुकुलवास
गुणग्गह
गोडिल्ल
गोयम
गोयमकेसिज्ज
गोसालग
चंड
चंदगुत्त
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कोटिशिला
कुष्माण्डदेव
क्रोधपिंड
स्कन्दक
स्कंदिल
खलुङ्क
क्षुल्लक
क्षुल्लक
क्षुधा परिष
क्षेत्र
गंगदत्त
गर्भसंहरण
गजसुकुमार
गवेषणा
गौरव
ग्लान
गृहवास
गुरु
गुरुकुलवास
गुरुनिग्रह
गोष्ठिवत्
गौतम
गौतमकेशीय
गोशालक
चण्डरुद्र
चन्द्रगुप्त
अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन
अविनीतता के ऊपर कुलवालक मुनि के मुनिजीवन से पतन की कथा । कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचंद्राचार्य द्वारा प्रतिष्ठित श्री कोकावसति पार्श्वनाथ तीर्थ की उत्पत्ति की कथा ।
वासुदेव की बल परीक्षा की साक्षी कोटिशिला की उत्पत्ति एवं माहात्मय की कथा । श्री नेमिनाथ प्रभु की शासनरक्षिका अंबिकादेवी की उत्पत्ति की कथा ।
धपूर्वक आहार ग्रहण करने के विषय में मासक्षमण के तपस्वी मुनि की कथा । 500 साधुओं सहित स्कंधक सूरि को हुए प्राणांत उपसर्ग एवं दण्डकारण्य की उत्पत्ति की कथा ।
माथुरी वाचना के साधु सम्मेलन के अध्यक्ष आचार्य स्कंदिल की कथा ।
विनीत एवं अविनीत शिष्यों से होती समाधि एवं असमाधि के विषय में गार्ग्याचार्य एवं सारणी, घोडे, बैल आदि की दृष्टांत कथा ।
लघु साधु के एकाकीवास निषेध पर उरभ्र की कथा ।
क्षुल्लक (बाल) साधु के शिथिलाचार से होती दुर्गति एवं पश्चाताप से प्राप्त सुगति पर देवप्रिय श्रेष्ठी एवं उसके आठवर्षीय बालक की कथा ।
क्षुधा परिषह के विषय में मुनि हस्तिमित्र और हस्तिभूत नामक पिता-पुत्र की कथा । शुद्ध वसति में स्थिरता करने एवं अशुद्ध वसति में रहने पर आम्र एवं बबूल की
उपनय कथा ।
हस्तिनापुर के गंगदत्त श्रेष्ठी मुनिसुव्रत स्वामी भगवान् के पास दीक्षा लेकर मासक्षमण कर आत्मध्यान में आयु पूर्ण कर सम्यग्दृष्टि देव बना । देवायु पूर्ण महाविदेह क्षेत्र में मनुष्य भव प्राप्त करके सिद्ध होगा उसकी कथा ।
हरिणगमेषी देव द्वारा देवानंदा की कुक्षी से त्रिशला माता की कुक्षी में भगवान महावीर के गर्भ - परावर्तन की कथा ।
श्रीकृष्ण के लघु भ्राता गजसुकुमार के दीक्षा एवं मोक्ष की कथा ।
शुद्ध आहारादि की गवेषणा के विषय में हाथी एवं कृत्रिम सरोवर की दृष्टांत कथा । ऋद्धि-रस एवं साता (सुख) के अभिमान के कारण हुई दुर्गति के विषय में मथुरा नगरी के बाहर नगर की गटर के पास यक्ष बने मङ्गु आचार्य की कथा । रोगी साधु को इच्छाकार आदि करने के विषय में महधिक राजा और ब्राह्मण की दृष्टान्तकथा ।
भाव श्रावक के विषय में जंबूस्वामी के पूर्वभव की शिवकुमार की कथा । गुरुकुलवास एवं गुर्वानुशासन को समभावपूर्वक सहन करने से गुरु-शिष्य दोनों के केवलज्ञान प्राप्ति के विषय में चंडरौद्राचार्य एवं उनके नवदीक्षित शिष्य (साधु) की
कथा ।
गुरुकुलवास के लाभालाभ के विषय में कौए एवं वापीका, कुलवधू और पंखहीन पक्षी की दृष्टांत कथाएँ ।
सुपात्रदान की बुद्धि से पासत्थादि अन्यलिङ्गी को आहारदि दान एवं उनके साथ आलाप संलापादि से होते नुकसान के विषय में श्रावकपुत्री की कथा । श्रुतहीलना से होनेवाली दुर्गति के विषय में 22 गोष्ठी पुरुषों की कई भवों तक संसार भ्रमण की कथा ।
भगवान महावीर के प्रथम गणधर (शिष्य) इन्द्रभूति गौतम की, एवं अंधक वृष्णिक राजा के पुत्र गौतम कुमार की कथा ।
भगवान महावीर के शिष्य गौतमस्वामी एवं भगवान पार्श्वनाथ के शिष्य केशी गणधर की मिलनकथा एवं तत्त्वचर्चा के प्रश्नोत्तर |
भगवान महावीर के कुशिष्य निह्नव मंखलिपुत्र गोशालक की कथा ।
क्रोधी प्रकृतिवाले चण्डरुद्राचार्य की कथा ।
चन्द्रगुप्त मौर्य एवं चाणक्य की नंदराजा पर विजय की कथा ।
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