SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 32
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 4. गुणस्थान ............ जीव एवं उसकी अवस्थाएँ गुणस्थान शब्द के पर्याय 'गुणस्थान शब्द की परिभाषा एवं अर्थ 1. मिथ्यात्व गुणस्थान 2. सासादन सम्यग्दृष्टि गुणस्थान 3. मिश्र गुणस्थान 4. अविरत सम्यग्दृष्टि गुणस्थान 5. देशविरति गुणस्थान 6. प्रमत्तसंयत गुणस्थान 7. अप्रमत्तसंयत गुणस्थान 8. अपूर्वकरण गुणस्थान 9. अनिवृत्ति बादर गुणस्थान 10. सूक्ष्म संपराय गुणस्थान 11. उपशान्तमोह गुणस्थान 12. क्षीणमोह गुणस्थान 13. सयोगी केवली गुणस्थान 14. अयोगकेवली गुणस्थान जैनेतर दर्शनों में आध्यात्मिक विकास की अवधारणाएँ गुणस्थान और वैदिक भूमिकाएँ गुणस्थान और चित्त की अवस्थाएँ गुणस्थान और बौद्धदर्शन सम्मत अवस्थाएँ गुणस्थान में जीवस्थान गुणस्थान में मार्गणास्थान गुणस्थान में भाव उपसंहर कर्मवाद कर्मवाद का महत्त्व कर्म का अर्थ एवं स्वरुप जीव और कर्म का संबंध कर्म के प्रकार कर्म प्रकृति अर्थात कर्मफल 1. ज्ञानावरणीय कर्म 2. दर्शनावरणीय कर्म 3. वेदनीय कर्म 4. मोहनीय कर्म 5. आयुःकर्म 6. नाम कर्म 7. गोत्रकर्म 8. अंतराय कर्म कर्मप्रकृतियों के विविध स्वभाव विपाकाश्रित प्रकृतियों के भेद कर्म की विविध अवस्थाएँ कर्मबंध के कारण मोदक का दृष्टान्त कर्म का स्थितिकाल कर्ममुक्ति विचार उपसंहार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy