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________________ [244]... चतुर्थ परिच्छेद अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन 9. पुयावइत्ती प्रवज्या 26. परिजूणा प्रवज्यास्वजनादि द्वारा विघ्नोत्पत्ति की शंका हो या एसे ही अन्य दारिद्रय से पीडित होकर प्रवज्या ग्रहण करना । जैसे-लकडहारे कारण उत्पन्न होने पर अन्यत्र जाकर दीक्षा देना ने की। 10. बुयावइत्ता प्रवज्या 27.सुमिणा प्रवज्यामुमुक्षु को प्रतिबोध पूर्वक दी जानेवाली दीक्षा स्वप्न में प्रतिबोध प्राप्त कर प्रवज्या ग्रहण करना । जैसे पुष्पचूलाने 11. मोयवइत्ता प्रवज्या की। साधु के निमित्त से हुए कर्ज से मुक्त करके दी जानेवाली दीक्षा 28. पडिस्सुया (प्रतिश्रुता) प्रवज्या12. परिपुयावइत्ता प्रवज्या प्रतिज्ञापूर्वक प्रवज्या ग्रहण करना जैसे - शालिभद्र के बहनोई क्षुधा से आकुल होने के कारण भोजन हेतु ग्रहण की जानेवाली धन्यकुमारने की। प्रवज्या (जैसे - आर्य सुहस्तिसूरिने द्रमक-भिक्षुक को दी थी) 29. सारणिया (सारणिका) प्रवज्या13. उवाय प्रवज्या पूर्व भव का स्मरण कराकर जातिस्मरण ज्ञान प्राप्त होने से 19 वें सद्गुरुओं की सेवा के कारण या उससे जनित वैराग्यपूर्वक तीर्थंकर श्री मल्लिकुमारी के द्वारा प्रतिबोध प्राप्त कर छ: राजाओंने जैसे प्रवज्या ग्रहण करना दीक्षा ग्रहण की, वैसे दीक्षा ग्रहण करना। 14. संगार(संकेत) प्रवज्या 30. रोगणिया प्रवज्या'यदि तुम प्रवज्या ग्रहण करोगे तो मैं भी करुंगा' - एसे रोग के आलंबन से प्रवज्या ग्रहण करना । जैसे सनत्कुमार ने संकेतपूर्वक प्रवज्या ग्रहण करना की। 15.विहगगति / परिजूणा प्रवज्या 31.अणाढिया प्रवज्यापरिवारादि के वियोग से या देशान्तर गमन से या दारिद्रादि अनादर होने से दीक्षा ग्रहण करना । जैसे-नंदीषेण के द्वारा पुनः कारण से प्रवज्या ग्रहण करना प्रवज्या ग्रहण करना। 32. देवसन्ना (दवसंज्ञा) प्रवज्या16. नटवरवादिता प्रवज्या पूर्वभव संबंधी देव के द्वारा प्रतिबोध करने पर प्रवज्या ग्रहण संवेगविकल धर्मकथा करनेपूर्वक उपार्जित भोजनादि भक्षण करना। जैसे-मेतार्य मुनि ने की। करना 33. वत्सानुबंधिका प्रवज्या17. भटरवादिता प्रवज्या पुत्र के स्नेह से प्रवज्या ग्रहण करना। जैसे-वज्रस्वामी की माता संवेगशून्य धर्मकथनपूर्वक भोजनादि प्राप्त करना सुनंदाने की। 18. सिंहस्वादिता प्रवज्याशौर्यातिरेक से (गुरुजनों की) अवज्ञा करके प्राप्त भोजनादि ग्रहण निक्षेपानुसार प्रवज्या के अर्थ : नाम प्रवज्या - किसी व्यक्ति या वस्तु का 'प्रवज्या' - एसा नामकरण करना करना। 19.शृगालखादिता प्रवज्याकपटवृत्तिपूर्वक आहार प्राप्त करके अन्यान्य स्थान में जाकर स्थापना प्रवज्या - रजोहरण, मुखवस्त्रिका (मुहपत्ति) आदि संयमोपकरण में प्रवज्यामय जीवन स्थापित करना। ग्रहण करना दव्य प्रवज्या - चरक, परिव्राजक, संन्यासी आदि लौकिक धर्म के 20. धान्यपुंज प्रवज्या अनुयायियों की प्रवज्या या राग, द्वेष, दबाव, वियोग, आजीविका, जिसमें अतिचार (दोष) रहित थोडे से प्रयत्न से स्व-स्वभाव की भोजनादि कारणों से ली गई जैन प्रवज्या। प्राप्ति हों भाव प्रवज्या - मुखवस्त्रिका, रजोहरण आदि भाव प्रवज्या के 21. विक्षिप्तधान्य समान प्रवज्या बाह्य लिङ्ग है और आरंभ पृथिव्यादी कार्यों में हिंसा (परिग्रह संघट्टनादि गाय के खुर से चारों ओर फैलाये गए धान्य कणों के समान रुप) आदि बाह्य तथा मिथ्यात्वादि आभ्यन्तर परिग्रह के त्यागरुप जिसमें गुणराशि यत्र-तत्र विकीर्ण हो जाय भाव प्रवज्या हैं।6। अभिधान राजेन्द्र कोश में आगे कहा है कि 22. धान्यविकीर्णसमाना प्रवज्या केशलोचादि द्रव्य दीक्षा है और क्रोधादि का अपनयन करना भाव अतिचार युक्त प्रवज्या, जिसमें स्व-स्वभाव की प्राप्ति में कालक्षेप दीक्षा है ।2 जैन मुनि के द्वारा मन-वचन-काय की निर्मलतापूर्वक पंचमहाव्रत, पंचाचार, अष्ट प्रवचनमाता आदि चारित्र धर्म का निरतिचार 23. धान्य संकर्षित समाना प्रवज्या पालन करना भाव प्रवज्या है।63 अतिशय अतिचार दोषयुक्त प्रवज्या, जिसमें स्व-स्वभाव की प्रवज्या के निमित्त :प्राप्ति में बहुत कालक्षेप हो तीर्थंकर-गणधरादि के उपदेश से या निमित्त से या बिना 24. छन्दा प्रवज्या किसी निमित्त के या निमित्तपूर्वक प्राप्त जाति स्मरणादि ज्ञान, या स्व या पर के अभिप्राय/प्रयोजन विशेष से ग्रहण की जाती श्रावक के गुण प्रत्यय से उत्पन्न अवधिज्ञान या अन्यदर्शनी के विभंग प्रवज्या। जैसे - भ्राता भवदत्त के लिए भवदेवने प्रवज्या ग्रहण की। 25. रोसा प्रवज्या 61. अ.रा.पृ. 5/730 62. अ.रा.पृ.5/732 रोषपूर्वक प्रवज्या ग्रहण करना, जैसे-शिवभूतिने की। 63. अ.रा.पृ. 5/730 हो। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org|
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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