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शिष्यरत्ना साध्वीजी श्री शशीकलाश्रीजी म.सा.
: वि.सं. १८८८
: शांताबहन
: बलु रामचंदभाई जीतमलभाई
: पार्वतीबहन
: फागण सुद- १०,
जन्म
जन्मनाम
पिता
माता
दीक्षा
वि.सं. २०३२
दीक्षास्थल : थराद
दीक्षादाता : आ. श्रीमद्विजय विद्याचंद्रसूरि म.सा.
दीक्षा
: सा.श्रीमुक्तिश्रीजी म.सा.
दीक्षीत नाम : सा. श्री शशीकलाश्रीजी म.सा.
विशेष रा६ होष उपर पी. सरो 821 जुन जुन सानंह या तेजो संक्षिप्त सार होन्ही मां ते बज्यो छ त कालीन सान्ह सान्ह जावीण राते शासन मां nYain
प्रायम पाथरो
जून जून जागज वध ते शासक हेच न गुहव तन शक्ती सत्य की शुभ मंगल लावना
शशी कसा श्रीक महाराष साहेबना सुखशातर मोहनखेड़ा तीर्थ ४.१४.०५
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४२ वर्ष की उम्र में दीक्षित होकर पूज्या साध्वीजी दीक्षागुरु एवं वर्तमानाचार्य श्रीमद्विजय जयंतसेनसूरीश्वरजी म.सा. के असीम आशीर्वाद प्राप्त कर चार वर्षीतप, वीशस्थानक तप, वर्धमान तप की ६८ ओली, ९९ यात्रा आदि अनेकविधतप एवं त्यागमय जीवन व्यतीय करती हुई ४६ शिष्या प्रशिष्या सह सर्वत्र जिनशासन का जयनाद कराती हूई, गुरुगच्छ का गौरव बढा रही है।
मंगल आशीर्वाद
प्रचंड 'पुण्य की स्वामीनी, समताधारी, सरल स्वभावीनी, तस्वीरत्ना पूज्या गुरुवर्याश्रीने अपनी शिष्या सा. डॉ. दर्शितकलाश्री को भी ईस ग्रंथ के प्रणयन में प्रेरणा एवं आशीर्वाद सह उत्साहवर्धन कीया है। ऐसी प्रसन्नमुखी, नम्रस्वभावी गुरुवर्याश्री के चरणो में शत् शत् वंदन |
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