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________________ अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन द्वितीय परिच्छेद... [67] अभिधान राजेन्द्र कोश : नामकरण के विभिन्न अर्थ (2) श्री अभिधान राजेन्द्र कोश के अंतिम भाग की प्राकृत पुष्पिका में आचार्य श्रीमद्विजय राजेन्द्र सूरीश्वरजीने इस कोश का नाम 'राइंद कोस' अर्थात् 'राजेन्द्र कोश' दिया है ...राइंदायरियेण देउ भूवणे राइंदकोसो सुहं ।।15। (3) आगे इसके बाद कर्ता स्वयं आचार्य विजय राजेन्द्रसूरि के द्वारा लिखित 11 श्लोक प्रमाण संस्कृत प्रशस्ति में इस कोश का नाम 'अभिधान राजेन्द्र प्राकृत महाकोश' दिया गया हैं।16 (4) और सप्तम भाग के अंत में मुद्रण - परिचय में इस कोश का नाम 'राजेन्द्र कोश' दिया हैं।17 इस प्रकार इस कोश का प्रचलित नाम 'अभिधान राजेन्द्र कोश' एवं पूरा नाम 'श्री अभिधान राजेन्द्र प्राकृत महाकोश' ज्ञात होता हैं। इस प्रकार प्रस्तुत विश्वकोश का प्रचलित नाम 'अभिधान राजेन्द्रः कोश:' है जिसका अर्थ निम्नानुसार है अभिधानानां (नामधेयानां/नाम शब्दानां) राजा-इति षष्ठययनाच्छेषे (सिद्ध हेम. 3-1-76) सूत्र से षष्ठी तत्पुरुष समास होकर राजन् सखेः (सिद्ध हेम. 7-3-106) सूत्र से समासान्त अट् प्रत्यय लगने पर 'अभिधान राज' शब्द बनता है। अभिधानराज्ञां इन्द्रः इति-पुनः उसी सूत्र से षष्ठी तत्पुरुष समास करने पर 'अभिधान राजेन्द्रः' शब्द बनता हैं। अभिधान राजेन्द्रः स च कोश: इति-कर्मधारय समास करने पर अभिधान राजेन्द्रः कोशः शब्द बनता है अथवा अभिधानराजेन्द्र -कृतः कोशः इति अभिधान राजेन्द्रः कोशः (मध्यमपद लोपी समास) शब्द निष्पन्न हुआ। 'अभिधान राजेन्द्रः कोशः' - इस में तीन शब्द है अभिधान = संज्ञा, शब्द, नाम, तुल्य नाम में अर्थज्ञान, उच्चारण आदि (अ.रा.पृ.1/733) राजेन्द्र = राजाओं के इन्द्र/चक्रवर्ती राजा = राजा, गौतम स्वामी आदि गणधर, आचार्य भगवंत (जिन शासन के राजा) इन्द्र = शोभनीय, ऐश्वर्य कोश = भण्डार, खाजाना अभिधान राजेन्द्र कोश में कोश/कोष शब्द के अनेक अर्थ दर्शाये हैं यथा, अण्डा, मिले हुए सोना-चांदी, अर्धविकसित फूल, समूह, दिव्य का एक प्रकार, शब्द पर्यायज्ञापक नाम, पानपात्र, शराब पीने का प्याला, कोवा, नेत्रकोष, आश्रय, धान्य भण्डार, भाण्डागार, खजाना, वारकपात्र, म्यान, प्रत्याकार, चर्मकोश, भण्डार, दो हजार धनुष्य प्रमाण नाप, कान्यकुब्ज देश (अ.रा.पृ. 3/681) इस प्रकार आचार्यश्रीने 'कोश' शब्द के अनेक अर्थ दर्शाये हैं जिसमें से यहाँ पर कोश शब्द का खजाना या भण्डार' यह अर्थ अभीष्ट हैं। अतः 'अभिधान राजेन्द्रः कोशः' का शाब्दिक अर्थ निम्नानुसार अभिधान राजेन्द्र कोश : पृष्ठ संख्या मूल ग्रंथ पृष्ठ अतिरिक्त पृष्ठ संख्या संख्या 893 1215 + + अभिधान राजेन्द्र कोश भाग क्र. भाग 1 भाग 2 भाग 3 भाग 4 भाग 5 भाग 6 भाग7 योग कुल पृष्ठ संख्या 1050 1227 1385 1440 1635 + + 1363 1415 + 1627 __+ _1468 + 1251 + 5 08 08 1476 + 1260 9232 + 0241 9437 13. अ.रा.भा. I, उपोद्घात पृ. 2, मूल ग्रंथ पृ. 1 अ.रा.भा. 4, मंगलाचरण- अहुणा चउत्थभागं.....वोच्छं अभिहाणराइंदे ।।1।। अ.रा.भा. 7, पृ. 1250 प्राकृत प्रशस्ति श्लोक 1 अ.रा.भा. 7, पृ. 1250 संस्कृत प्रशस्ति श्लोक 8, 11 राजत्येष सुसाधुमुद्रणमितो राजेन्द्रकोशः शुभः ।। अ.रा.भा. 7, मुद्रणपरिचय, श्लोक 5 (1) नामों के चक्रवर्ती का खजाना (2) शब्दों के राजा का ऐश्वर्य भण्डार (3) शब्दचक्रवर्ती का भण्डार (4) गौतमादि गणधरों के द्वारा जैनागम स्म में गूंथा हुआ सुसमृद्ध ज्ञान का अक्षय खजाना । अभिधान राजेन्द्र कोशः - नामकरण: अभिधान राजेन्द्र कोश 'अर्हम्' इस मंगलवाची शब्द के साथ वर्णानुक्रम से 'अ' -इस एकाक्षर शब्द से प्रारंभ हुआ है। तदन्तर - (1) इस कोश का नाम 'अभिधान राजेन्द्रः' ऐसा दिया गया है एवं चौथे भाग के मंगलाचरण में 'अभिहाण राइंद'14 अर्थात 'अभिधान राजेन्द्र' एसा नाम दिया गया है। लोगस्स सारधम्मो, धम्म पि य नाणसारियं बिंति । नाणं संजमसारं, संजमसारं च निव्वाणं ॥ - अ.रा.पृ. 6/741 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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