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जिनवाणी- जैनागम-साहित्य विशेषाङ्क ९. अनुत्तरौपपातिकदशांग
१०. प्रश्नव्याकरण ११. विपाक श्रुत
12 उपांग १. औपपातिक
२.राजप्रश्नीय ३. जीवाभिगम
४. प्रज्ञापना ५. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति
६. चन्द्रप्रज्ञप्ति ७. सूर्यप्रज्ञप्ति
८. कल्पिका ९.कल्पावतंसिका
१०. पुष्पिका ११. पुष्पचूलिका
१२. वृष्णिदशा
____ 10 प्रकीर्णक १. चतुश्शरण प्रकीर्णक
२. आतुर प्रत्याख्यान ३. भक्त प्रत्याख्यान
४. संस्तार प्रकीर्णक ५. तंदुल वैचारिक
६. चन्द्रविद्यक/चन्दवेध्यक ७. देवेन्द्रस्तव
८. गणिविद्या ९. महाप्रत्याख्यान
१०. मरणसमाधि
6 छेदसूत्र १. निशीथ
२. व्यवहार ३.बृहत्कल्प
४. दशाश्रुतस्कन्ध ५. महानिशीथ
६. जीतकल्प
4 मूलसूत्र १. दशवैकालिक सूत्र
२. अनुयोगद्वार ३. उत्तराध्ययन
४. नन्दीसूत्र
2 चूलिका १. ओघनियुक्ति
२. पिण्डनियुक्ति कुछ लेखक नन्दी और अनुयोगद्वार सूत्र को चूलिका मानते हैं और ओघनियुक्ति एवं पिण्डनियुक्ति को एक मानकर आवश्यकसूत्र को भी मूलसूत्रों में गिनते हैं।
1 आवश्यक १. आवश्यक सूत्र
इनमें से १० प्रकीर्णक, अंतिम २ छेदसूत्र और २ चूलिकाओं के अतिरिक्त ३२ सूत्रों को स्थानकवासी एवं तेरापंथ सम्प्रदाय मान्य करती हैं। श्वेताम्बर मूर्तिपूजक सम्प्रदाय ४५ को प्रामाणिक स्वीकार करती है। उस स्थिति में ओघनियुक्ति एवं पिण्डनियुक्ति को एक सूत्र के रूप में सम्मिलित कर लिया जाता है।
नन्दीसूत्र-गत कालिक उत्कालिक सूत्रों की तालिका में १० में से ४ प्रकीर्णक, २ छेदसूत्र एवं २ चूलिकाएँ (ओर्घनियुक्ति, पिण्डनियुक्ति) नहीं हैं और ऋषिभाषित का नाम जो कि नंदीसूत्र की तालिका में है, वह वर्तमान ४५
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