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________________ ही संभवत: मन्त्रिमंडल की रचना होती थी। केन्द्रीय संसद का अधिवेशन नगर के मध्य स्थित ‘सन्थागार' (सभा-भवन) में होता था। शासन-शक्ति संसद के 7707 सदस्यों ('राजा' नाम से युक्त) में निहित थी। संभवत: इनमें से कुछ 'राजा' उग्र थे और एक-दूसरे की बात नहीं सुनते थे। इसीकारण ललितविस्तर'-काव्य में ऐसे राजाओं की मानो भर्त्सना की गई है—“इन वैशालिकों में उच्च, मध्य, वृद्ध एवं ज्येष्ठजनों के सम्मान के नियम का पालन नहीं होता। प्रत्येक स्वयं को 'राजा' समझता है। मैं राजा हूँ ! में राजा हूँ !' कोई किसी का अनुयायी नहीं बनता।17 इस उद्धरण से स्पष्ट है कि कुछ महत्त्वाकांक्षी-सदस्य गणराजा (अध्यक्ष) बनने के इच्छुक थे। संसत्सदस्यों की इतनी बड़ी संख्या से कुछ विद्वानों का अनुमान है कि वैशाली की सत्ता कुछ कुलों (7707) में निहित थी और इसे केवल 'कुल-तन्त्र' कहा जा सकता है। इस मान्यता का आधार यह तथ्य है कि 7707 राजाओं का अभिषेक एक विशेषतया सुरक्षित सरोवर (पुष्करिणी) में होता था।18 स्वर्गीय प्रो० आर०डी० भण्डारकर का निष्कर्ष था— “यह निश्चित है कि वैशाली-संघ के अंगीभूत कुछ कुलों का महासंघ ही यह गणराज्य था।” श्री जायसवाल तथा श्री अल्तेकर जैसे राजशास्त्रविदं इस निष्कर्ष से सहमत नहीं है। श्री जायसवाल ने 'हिन्दू राजशास्त्र' (पृष्ठ 44) में लिखा है— “इस साक्ष्य से उन्हें 'कुल' शब्द से सम्बोधित करना आवश्यक नहीं। छठी-शताब्दी ई०पू० के भारतीय-गणतन्त्र बहुत पहले समाज के जनजातीय स्तर से गुजर चुके थे। ये राज्य, गण और संघ थे, यद्यपि इनमें से कुछ का आधार राष्ट्र या जनजाति था; जैसाकि प्रत्येक राज्य-प्राचीन या आधुनिक का होता है। ___ डॉ० ए०एस० अल्तेकर का यह उद्धरण विशेषत: द्रष्टव्य है—यह स्वीकार्य है कि यौधेय, शाक्य, मालव तथा लिच्छवि गणराज्य आज के अर्थों में लोकतन्त्र नहीं थे। अधिकांश आधुनिक विकसित-लोकतन्त्रों के समान सर्वोच्च एवं सार्वभौम-शक्ति समस्त वयस्क-नागरिकों की संस्था में निहित नहीं थी। फिर भी इन राज्यों को हम 'गणराज्य' कह सकते हैं।... स्पार्टा ऐथेन्स, रोम, मध्ययुगीन वेनिस, संयुक्त नीदरलैण्ड और पोलैण्ड को 'गणराज्य' कहा जाता है; यद्यपि इनमें से किसी में पूर्ण-लोकतन्त्र नहीं था। इस सैद्धान्तिक-पृष्ठभूमि तथा ऐतिहासिक-साक्ष्य के आधार पर निश्चय ही प्राचीन भारतीय-गणराज्यों को उन्हीं अर्थों में गणराज्य कहा जा सकता है कि जिस अर्थ में यूनान तथा रोम के प्राचीन राज्यों को गणराज्य कहा जाता है। इन राज्यों में सार्वभौम-सत्ता किसी एक व्यक्ति या अल्पसंख्यक-वर्ग को न मिलकर बहुसंख्यक-वर्ग को प्राप्त थी।" 'महाभारत' में भी प्रत्येक घर में राजा' होने का वर्णन है।20 उपर्युक्त विद्वान् के मतानुसार, “इस वर्णन में छोटे गणराज्यों की तथा उन क्षत्रिय-कुलों की चर्चा है, जिन्होंने उपनिवेश स्थापित करके राजपद प्राप्त किया था। संयुक्त राज्य अमरीका में मूल उपनिवेश 00 78 प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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