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________________ विद्वान् लेखक द्वारा प्रदर्शित इस अभिन्नता से मैं सहमत हूँ। इस प्रसंग में वज्जि' से बुद्ध का तात्पर्य लिच्छवियों से भी था और इसी आधार पर वज्जि-संबंधी बुद्ध-वचनों की व्याख्या होनी चाहिए। अन्य ग्रंथों में उल्लेख: पाणिनि (500 ई०पू०) और कौटिल्य (300 ई०पू०) के उल्लेखों से भी वज्जि (वैशाली, लिच्छवि) गणतन्त्र की महत्ता तथा ख्याति का अनुमान लगाया जा सकता है। पाणिनीय 'अष्टाध्यायी' में एक सूत्र है--- 'भद्रवृज्जयो: कन्' 4 12 131। इसीप्रकार, कौटिल्य ने 'अर्थशास्त्र' में दो प्रकार के संघों का अन्तर बताते हुए लिखा है-“काम्बोज, सुराष्ट्र आदि क्षत्रिय-श्रेणियाँ कृषि, व्यापार तथा शस्त्रों द्वारा जीवन-यापन करती हैं और लिच्छविक, वृजिक, मल्लक, मद्रक, कुकुर, कुरु, पञ्चाल आदि श्रेणियाँ राजा के समान जीवन बिताती ___'रामायण' तथा 'विष्णुपुराण' के अनुसार वैशाली नगरी' की स्थापना इक्ष्वाकु-पुत्र विशाल द्वारा की गई है। विशाल नगरी होने के कारण यह 'विशाला' नाम से भी प्रसिद्ध हुई। बुद्धकाल में इसका विस्तार नौ मील तक था। इसके अतिरिक्त, वैशाली, धन-धान्य-समृद्ध तथा जन-संकुल नगरी थी। इसमें बहुत से उच्च भवन, शिखरयुक्त प्रासाद, उपवन तथा कमल-सरोवर थे। (विनयपिटक एवं ललितविस्तर) बौद्ध एवं जैन दोनों धर्मों के प्रारम्भिक इतिहास से वैशाली का घनिष्ठ-सम्बन्ध रहा है। “ई०पू० पाँच सौ वर्ष पूर्व भारत के उत्तर पूर्व-भाग में दो महान् धर्मों के महापुरुषों' की पवित्र-स्मृतियाँ वैशाली में निहित हैं।" बढ़ती हुई जनसंख्या के दबाव से तीन बार इसका विस्तार हुआ। तीन दीवारें इसे घेरती थीं। तिब्बती-विवरण भी इसकी समृद्धि की पुष्टि करते हैं। तिब्बती-विवरण (सुल्व 3/80) के अनसार वैशाली में तीन जिले थे। पहले जिले में स्वर्ण-शिखरों से युक्त घर 7000 थे, दूसरे जिले में चाँदी के शिखरों से युक्त 14000 घर थे तथा तीसरे जिले में ताँबे के शिखरों से युक्त 21000 घर थे। इन जिले में उत्तम, मध्यम तथा निम्न वर्ग के लोग अपनी-अपनी स्थिति के अनुसार रहते थे। (राकहिल लाइफ ऑफ बुद्ध, पृष्ठ 62)10 प्राप्त-विवरणों के अनुसार वैशाली की जनसंख्या 16800 थी। क्षेत्र एवं निवासी: जहाँ तक इसकी सीमा का सम्बन्ध है, गंगा नदी इसे मगध-साम्राज्य से पथक् करती थी। श्री रे चौधरी के शब्दों में, “उत्तर-दिशा में लिच्छवि-प्रदेश नेपाल तक विस्तृत था।" श्री राहुल सांकृत्यायन के अनुसार वज्जि-प्रदेश में आधुनिक चम्पारन तथा मुजफ्फरपुर जिलों के कुछ भाग, दरभंगा जिले का अधिकांश भाग, छपरा जिले के मिर्जापुर एवं परसा, सोनपुर पुलिस-क्षेत्र तथा कुछ अन्य-स्थान सम्मिलित थे।। वसाढ़ में हुए पुरातत्त्व-विभाग के उत्खनन से इस स्थानीय विश्वास की पुष्टि होती है 00 74 प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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