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________________ त्रातिगाम (ज्ञातिगाम) होने से त्राति' नाम पड़ा और नादिक तड़ाग (तालाब) के निकट होने से 'नादिक' कहलाया। ___आगम-ग्रन्थों के अनुसार 'कुण्डपुर' के दो भाग थे—'दक्षिण कुण्डपुर सन्निवेश' और 'उत्तर कुण्डपुर सन्निवेश' । 'क्षत्रिय कुण्डग्राम' उत्तर में था, जिसमें मुख्यत: ज्ञातृवंशी क्षत्रिय रहते थे और 'ब्राह्मण कुण्डग्राम' दक्षिण में था, जिसमें मुख्यत: ब्राह्मण निवास करते थे। इन उल्लेखों से यह मालूम पड़ता है कि उत्तर क्षत्रियकुण्डपुर सन्निवेश' और 'दक्षिण ब्राह्मणकुण्डपुर सन्निवेश' अथवा 'क्षत्रिय कुण्डग्रामनगर' और 'ब्राह्मण कुण्डग्रामनगर' - दोनों प्राय: मिले हुए थे। वास्तव में कुण्डपुर सन्निवेश' के दो भाग थे, जिसमें उत्तरीभाग में क्षत्रियों (विशेषत: ज्ञातृवंशी) और दक्षिणीभाग में ब्राह्मणों की बस्ती थी। ब्राह्मणकुण्डग्राम' के ईशानकोण में प्रसिद्ध 'बहुशाल चैत्य' था। क्षत्रियकुण्डग्राम के ईशान कोण में कुछ आगे चलकर कोल्लाग' सन्निवेश था। यह सन्निवेश भी ज्ञातृवंशी क्षत्रियों का था। क्षत्रियकुण्डपुर के बाहर ही ज्ञातृखण्डवन' नामक एक उद्यान था, जो ज्ञातृवंशियों का था। वैशाली का तीसरा भाग वाणिज्यग्राम' नगर था। इसमें प्राय: व्यापारी-बनिये रहते थे। यह पश्चिम की ओर आबाद था। इसके ईशानकोण में प्रसिद्ध 'द्यतिपलाश चैत्य' और उद्यान था। चैत्य और उद्यान —दोनों ही ज्ञातृवंशी क्षत्रियों के थे। वस्तुत: वैशाली' तीन भागों या जिलों में विभक्त थी—वैशाली, कुण्डग्राम औरि वाणिज्यग्राम । ये तीनों ही नगर भिन्न-भिन्न थे। यह एक-दूसरे से कितनी दूर थे ---इसका तो कहीं उल्लेख नहीं मिलता। किन्तु आगम-ग्रन्थों में तथा अन्यत्र ऐसे उल्लेख प्राय: मिलते हैं, जिनसे यह मालूम पड़ता है कि ये तीनों नगर अलग-अलग बसे हुए थे। वैशाली संघ वैशाली में महावीर से कुछ पूर्व से ही 'गणसंघ प्रणाली' प्रचलित थी। सम्भवत: इस 'गणसत्ताक राज्य' की स्थापना ईसवी सन् से लगभग सात शताब्दी पूर्व में गंगा के तट पर हुई थी। इससे लगे हुए विदेह राज्य का अन्त जनकवंशी निमि के पुत्र कलार के समय में हो चुका था। इसके बाद विदेह राज्य लिच्छवियों के गणसंघ में मिल गया। इतिहासकार इस महत्त्वपूर्ण घटना का अभी तक न तो कालनिर्धारण ही कर पाये हैं और न विस्तार से ही इसके सम्बन्ध में प्रकाश डाल सके हैं। जनकवंश के अन्तिम राजा कलार को प्रबुद्ध जनता ने उसके दुराचार कारण जान से मार डाला, तब जनता ने मिलकर यह निश्चय किया कि 'अब भविष्य में विदेह में राजतन्त्र की स्थापना नहीं की जायेगी, बल्कि जनता का अपना राज्य होगा, जिसका शासन जनता के लिए जनता द्वारा होगा। -इस निश्चय के परिणामस्वरूप विदेह में जनता ने 'विदेह गणसंघ' की स्थापना की। उस समय वैशाली में 'लिच्छवि संघ' भी मौजूद था। कुछ समय बाद दोनों गणसंघों के राजाओं ने परस्पर बैठकर सन्धि कर ली और विदेह गणराज्य' विशाल वैशाली 0062 प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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