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'तदन्तर उस 'विदेह' देश में 'कुण्डपुर' नाम का एक जगत्-प्रसिद्ध नगर था, जो स्वसदृश-शोभा से सम्पन्न होता हुआ आकाश के समान सुशोभित हो रहा था; क्योंकि जिसप्रकार आकाश समस्त वस्तुओं के अवगाह से युक्त है, उसीप्रकार वह नगर भी समस्त वस्तुओं के अवगाह से युक्त था। तात्पर्य यह है कि “आकाशस्यावगाह:" इस आगम-वाक्य से जिसप्रकार आकाश, जीव, पुद्गल, धर्म, अधर्म, आकाश और काल — इन छह द्रव्यों को अवगाह देता है, उसीप्रकार वह नगर भी संसार के समस्त-पदार्थों को अवगाह देता था .... उसमें संसार के समस्त पदार्थ पाये जाते थे। जिसप्रकार आकाश भास्वत्-सूर्य, कलाधर-चन्द्रमा और बुध आदि ग्रहों से अध्यासित-अधिष्ठित है; उसीप्रकार वह नगर भी भास्वत्कलाधर बुधों-दैदीप्यमान कलाओं के धारक विद्वानों से अधिष्ठित था, इन सबका उसमें निवास था। जिसप्रकार आकाश सवृष-वृष राशि से सहित होता है, उसीप्रकार वह नगर भी सवृष' अर्थात् 'धर्म से सहित' था; व जिसप्रकार आकाश सतार' - ताराओं से सहित है, उसीप्रकार वह नगर भी सतार - चाँदी, तरुण पुरुष, शुद्ध मोती अथवा मोतियों आदि की शुद्धि से सहित था।' ___ 'खुले हुए अवधिज्ञानरूपी नेत्र के द्वारा शीघ्र ही जिनबालक का जन्म जानकर भक्ति के भार से जिनके मस्तक झुक गये थे, तथा जिनके मुख्य-भवन घण्टा के शब्द से शब्दायमान हो रहे थे— ऐसे इन्द्र उस समय सौभाग्य से कुण्डपुर आये।' 5. अथाऽस्मिन् भारते वर्षे विदेहेषु महर्द्धिषु ।
आसीत्कुण्डपुरं नाम्ना पुरं सुरपुरोत्तमम् ।।
- (आचार्य दामनन्दि, पुराणसारसंग्रह 2, वर्धमानचरित 4/1, पृ. 188) अर्थ :- इसी भरतक्षेत्र में विदेह' नाम का समृद्धिशाली देश है, वहाँ देवों के नगरों से भी बढ़कर 'कुण्डपुर' नाम का नगर था। 6. णिवसइ विदेहु णामेण देसु खयरामरेहिं सुहयर-पएसु । तहिं णिवसइ कुंडपुराहिहाणु पुरुधय-चय-झंपिय-तिव्व भाणु।।
-(विबुध श्रीधर, वड्ढमाणचरिउ, 9/1, पृ. 198-99) अर्थ :- उसी भारतवर्ष में विद्याधरों और अमरों से सुशोभित प्रदेश-वाला विदेह नामक एक सुप्रसिद्ध देश है, जहाँ सुन्दर धार्मिक लोग रहते हैं। ..........उसी विदेह. देश में कुण्डपुर नामक एक नगर है, जिसने अपनी ध्वजा-समूह से तीव्र भानु को ढंक दिया था। 7. च्युत्वा विदेहनाथस्य सिद्धार्थस्याङ्गजोऽजनि । सोऽत्र कुण्डपुरे शक्रः कृत्वाभिषवणादिकम् ।।
–(पं. आशाधर सूरि, त्रिषष्टिस्मृतिशास्त्र, 24/24, पृ. 153) अर्थ :- पुष्पोत्तर विमान (स्वर्ग) से च्युत होकर विदेह देश के राजा सिद्धार्थ व प्रियकारिणी के गर्भ से कुण्डपुर में महावीर नाम से जन्मे । इन्द्र ने अभिषेकादि कार्य किये।
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प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक
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