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पुस्तक-समीक्षा
(1)
पुस्तक का नाम: आनंदधारा ( आचार्य विद्यानन्द जी मुनिराज के मंगल प्रवचनों का संकलन ) : आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज
समय-प्रमुख
प्रकाशक
:
गांधी नाथा रंगजी दिगम्बर जैन जनमंगल प्रतिष्ठान, सोलापुर (महा.) : प्रथम, 2001 ई०
संस्करण
मूल्य
: 50/- (डिमाई साईज़, पेपरबैक, लगभग 225 पृष्ठ )
हैं
दिगम्बर जैनाचार्य अपनी तप:साधना एवं ज्ञानाराधना की विशेषता के लिये जाने जाते हैं। उनके मंगल-प्रवचनों में भी आत्महित और लोकहित के उत्कृष्ट प्रतिमान समाहित होते । पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज के जयपुर - चातुर्मास के समय प्रदत्त मंगल-प्रवचनों का संकलन सुश्री प्रीति जैन ने किया था, जिसका डॉ. मयूरा शहा ने मराठी भाषा में अनुवाद किया, और गांधी नाथा रंगजी दिगम्बर जैन जनमंगल प्रतिष्ठान, सोलापुर (महाराष्ट्र) ने इसका गरिमापूर्ण प्रकाशन कराया है
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मराठी-साहित्य की समृद्धि भी इस प्रकाशन से बढ़ी है। वर्तमान में मराठी - भाषा का साहित्य उच्चस्तरीय प्रतिमानों के अनुरूप प्रकाशित हो रहा है – यह हर्ष और गौरव का विषय है। प्रस्तुत - संस्करण से अधिकाधिक मराठीभाषी लोग लाभान्वित होंगे - ऐसा विश्वास
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-सम्पादक **
(2)
पुस्तक का नाम: अभिषेक (मराठी जैन-कथा-संग्रह)
सम्पादक
श्रेणिक अन्नदाते
प्रकाशक
संस्करण
मूल्य
1.
: सुमेरु प्रकाशन, डी- 6, राजहंस सोसायटी, तिलकनगर, डोंबिवली (पूर्व), 421201 : प्रथम, 2001 ई०
: 150/- (डिमाई साईज़, पेपरबैक, लगभग 223 पृष्ठ)
भारतीय परम्परा में कथा - साहित्य का अति महत्त्वपूर्ण स्थान है । विद्वानों ने ऐसा भी स्वीकार किया है कि जैनकथा लेखकों ने जो साहित्य-सृजन किया है, सम्पूर्ण विश्व का कथा साहित्य उससे अनुप्राणित है ।
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प्राकृतविद्या← जनवरी-जून 2002 वैशालिक महावीर - विशेषांक
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