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का सहारा लेते हुये इसका व्यापक प्रचार-प्रसार भी करना है । "
इसी कार्यक्रम में पूज्य मुनिश्री ऊर्जयन्त सागर जी ने श्रुतपंचमी पर्व की महिमा बताते हुये जिनवाणी के प्रचार- प्रसार पर बल दिया। उन्होंने कहा कि "हमारे हजारों आचार्यों, मुनिराजों और विद्वानों के परिश्रम और त्याग के फलस्वरूप जिनवाणी इस पंचमकाल में सुनने को मिल रही है । हमें इनका उपकार कभी भी नहीं भूलना चाहिये, और जिनवाणी के प्रचार-प्रसार के क्षेत्र में काम करनेवाले विद्वानों का भी समाज को समुचित सम्मान करना चाहिये। "
विषय-प्रवर्तन करते हुये सभा के संयोजक डॉ० सुदीप जैन ने श्रुतपंचमी पर्व के प्रवर्तन का इतिहास भावपूर्ण शब्दों में प्रस्तुत करते हुये श्रुतपंचमी पर्व का महत्त्व बताया, तथा प्राकृतभाषा में आचार्यों के द्वारा जो मूलतत्त्वज्ञान निबद्ध किया गया है; उसकी भी महिमा बताई। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्राकृतभाषा में जिनवाणी का निबद्ध होना यह प्रमाणित करता है कि जैन- परम्परा की दृष्टि ऊँच-नीच के भेद के बिना सभीजनों को आत्मकल्याण का अवसर प्रदान कराना थी ।
सभा का मंगलाचरण करते हुये डॉ० वीरसागर जैन ने आचार्य कुन्दकुन्द के साहित्य में निहित तत्त्वज्ञान की गहनता एवं आनुपूर्विकता पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर अहिंसा-स्थल के अध्यक्ष धर्मानुरागी श्री कैलाशचंद्र जी जैन 'जैना वाच कम्पनी' एवं उनके समस्त परिजनों तथा ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने पूज्य आचार्यश्री के श्रीचरणों में श्रीफल समर्पित कर अहिंसा-स्थल पर इस वर्ष चातुर्मास स्थापित करने की विनती की, जिसे पूज्य आचार्यश्री ने उदारतापूर्वक स्वीकार किया तथा घोषणा की कि अहिंसा-स्थल पर भगवान् महावीर के 2600वें जन्मकल्याणक - वर्ष के अंतर्गत भव्य महामस्तकाभिषेक का समारोह आयोजित होना चाहिये, जिससे कि इस क्षेत्र की गरिमा और विकास के कार्य सम्पन्न हो सकें। समारोह की अध्यक्षता अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष धर्मानुरागी साहू रमेशचंद्र जी ने की ।
कार्यक्रम के अंतर्गत विभिन्न धर्मानुरागी भाईयो - बहिनों ने श्रुतभक्ति के मांगलिक भजन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के अंत में धर्मानुरागी साहू समीर जैन एवं उनके परिजनों द्वारा अपनी बहिन धर्मानुरागिणी स्व० श्रीमती नंदिता जज की पुण्यस्मृति में समागतजनों को सत्साहित्य का वितरण किया गया। तथा संस्था की ओर से साधर्मी वात्सल्य का आयोजन भी किया गया। इस कार्यक्रम के आयोजन में कुन्दकुन्द भारती न्यास के माननीय न्यासीगणों के अतिरिक्त श्री प्रभात जैन, श्री सुशील जैन एवं कुन्दकुन्द भारती के समस्त कार्यकर्त्ताओं ने सक्रिय योगदान किया ।
- सम्पादक **
यूनेस्को द्वारा पूज्य आचार्यश्री का व्याख्यान आयोजित यूनेस्को द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शांति और सौहार्द की भावनाओं के प्रसार के लिये जो विश्वव्यापी कार्यक्रम चलाया जा रहा है, उसके अंतर्गत दिनांक 8 मई 2001, शुक्रवार को
Jain E27_134 ati प्राकृतविद्या - जनवरी-जून 2001 (संयुक्तांक), महावीर - चन्दना-विशेषांक org