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राजधानी नई दिल्ली के प्रतिष्ठित 'नेशनल म्यूजियम सभागार' में परमपूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज का मंगल व्याख्यान केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा आयोजित किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमान् मुरली मनोहर जोशी ने की।
इस कार्यक्रम का मुख्य विषय बच्चों में अहिंसा और सौहार्द के संस्कारों का विकास करने के लिये सुनियोजित कार्यक्रम बनाना था। पूज्य आचार्यश्री विद्यानन्द जी मुनिराज ने अपने वक्तव्य में बड़े ही मनोवैज्ञानिक ढंग से सिद्ध किया की अहिंसा की भावना प्राणीमात्र के अंतस् में विद्यमान है। आज के भौतिकवादी युग में हमने अपने लौकिक स्वार्थों की पूर्ति के लिये धन और संसाधनों को प्रमुख मान लिया है, और इसी कारण से हिंसा आदि पापों का प्रसार बढ़ रहा है। आज के भौतिकवादी प्रचार-माध्यम इस कार्य में आग में घी डालने जैसा काम कर रहे हैं। इसलिये बच्चों का मन विकृत हो रहा है, और वे हिंसा, क्रूरता और कुसंस्कारों की ओर बढ़ रहे हैं। मानव संसाधन विकास मंत्रालय को व्यापक स्तर पर ऐसे कार्यक्रमों का निर्माण और प्रचार-प्रसार करना होगा, जो बच्चों में उनके स्वाभाविक अच्छे संस्कारों और अहिंसा की भावना को न केवल सुरक्षित रखें; अपितु उसे और अधिक बढ़ायें। अहिंसा कोई धर्म या सम्प्रदाय की बात नहीं है, बल्कि यह एक आदर्श-जीवनशैली है, जो प्राणीमात्र को आपस में मिल-जुलकर रहना और सहयोग करना सिखाती है। अहिंसा के बल पर ही मनुष्य का सामाजिक रूप सुरक्षित रह सकता है। तथा यदि समाज को अहिंसक और सदाचारी बनाना है, तो यह संस्कार बचपन से ही हमें देना होंगे। आज के माता-पिता बच्चों को साईस और टेक्नॉलाजी की ऊँची से ऊँची शिक्षा दिलाने के लिये भरपूर समय और धन खर्च करने को तैयार हैं, किन्तु उनके पास बच्चों में अच्छे संस्कार देने के लिये समय और धन प्राय: नहीं होता है। उन्हें यह ध्यान रखना चाहिये कि मात्र ऊँची शिक्षा से ही बच्चे आदर्श नागरिक नहीं बन सकते हैं. बल्कि अच्छे चरित्र और संस्कारों के बल पर ही वे आदर्श नागरिक बन सकेंगे। ___ समारोह की अध्यक्षता करते हुये मानव संसाधन विकास मंत्री श्रीमान् मुरली मनोहर जोशी जी ने पूज्य आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञ विनयांजलि अर्पित करते हुये यह भावना व्यक्त की कि उनका मंत्रालय इस दिशा में ठोस कदम उठायेगा, और पूज्य आचार्यश्री जैसे संतों के राष्ट्रहितकारी मागदर्शनों के अनुरूप प्रभावी कार्यक्रमों का निर्माण करेगा। इस समारोह के संयोजन में श्री लालबहादुर शास्त्री राष्ट्रिय संस्कृत विद्यापीठ (मानित विश्वविद्यालय), नई दिल्ली के कुलपति धर्मानुरागी प्रो० वाचस्पति उपाध्याय जी का विशेष योगदान रहा।
यूनेस्को के भारत-प्रमुख की ओर से कार्यक्रम का कृतज्ञता-ज्ञापन किया गया. और पूज्य आचार्यश्री के संदेश को विश्वभर में प्रसारित करने की भावना व्यक्त की गई।
--सम्पादक **
प्राकृतविद्या-जनवरी-जून'2001 (संयुक्तांक) +महावीर-चन्दना-विशेषांक 00 135 Jain Education International For Private &Personal Use Only
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