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वि० सं० ४००-४२४ वर्ष ।
[भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
सब लोग चले जाने पर भी भीमदेव सूरिजी की सेवा में मूर्तिमान बैठा ही रहा सूरिजी ने पूछा तेरा भीम-साहिबजी मेरा नाम भीमा है ?
[क्या नाम है :सूरिजी-क्या ध्यान लगा रहा है ? भीम-आप श्री के व्याख्यान का विचार कर रहा हूँ। सूरिजी-क्या तुझे संसार से भय आया है ? भीम-जी हां। सूरिजी-तो फिर क्या विचार कर रहा है ? भीम-मैं विचार करता हूँ कि मेरा कल्याण कैसे हो सके ?
सूरिजी-कल्याण का सरल और सीधा रस्ता यह है कि संसार को तिलांजलि दे और दीक्षा लेकर आराधना करे कि जन्म मरण के दुःख का अन्त हो एवं अक्षय सुख प्राप्त हो जाय । बस सबसे बढ़िया यह एक ही रास्ता कल्याण का है।
___ भीम-पूज्यवर मेरा दिल तो इस बात को बहुत चाहता है पर कुटुम्ब बंधन ऐसा है कि वे अन्तराय डाले बिना नहीं रहते हैं।
सूरिजी-भीम ! हम लोग भी अकेले नहीं थे पर हमारे पीछे भी कुटुम्ब वाले थे जब हमारे अन्त. रंग के भाव थे तो उसको कौन बदला सके ! हमारा यह कहना नहीं है कि कुटुम्ब वालों को लात मार कर अनीति से काम करे । पर कुटम्ब वालों को समझा कर बन सके तो जम्बु कुंवर की भांति उनका भी उद्धार करे । और यह तुम्हारा कर्तव्य भी है।
भीम-पूज्यवर ! आपका फरमाना सत्य है बन सकेगा तो मैं अवश्य प्रयत्न करूंगा! वरना मैं मेरे कल्याण के लिये तो प्रतिज्ञा करता हूँ कि मैं आपके चरण कमलों में दीक्षा लेकर यथा साध्य आराधना करूंगा।
सूरिजी-जहासुखम पर भीमा घर जाकर प्रतिज्ञा को भूल न जाना।
भीमदेव-नहीं गुरुदेव ! प्रतिज्ञा भी कहीं भूली जा सकती है बाद सूरिजी को वंदन कर भीम अपने घर पर आया जिसकी माता पिता राह देख रहे थे। माता ने पूछा कि बेटा व्याख्यान कब का ही समाप्त हो गया तू इतनी देर कहां ठहर गया तुम्हारे बिना सब भोजन किये बिना बैठे हैं ? भीम ने कहा माता मैं आचार्य श्री की सेवा में बैठा था । भीम के वचन सुनते ही माता को कुछ शंका हुई और कहने लगी कि बेटा जब सब लोग चले गये तो एक तेरे ही ऐसा क्या काम था कि इतनी देर वहां ठहर गया ?
भीम-माता बिना काम एक क्षण भर भी कौन ठहरता है । माता को विशेष शंका हुई और उसने कहा ऐसा क्या काम था ?
___भीम-माता मैं सूरिजी का व्याख्यान सूना जिससे सूरिजी से कल्याण का मार्ग पूछा था ! बस ! माता की धारणा सत्य हो गई उसने कहा बेटा मन्दिर जाकर भगवान की पूजा करो, समायिक प्रतिक्रमण और दान पुन्य करो, गृहस्थों के लिये यही कल्याण का मार्ग है।
बेटा-हां माता यह कल्याण का मार्ग अवश्य है पर मैं कुछ इनसे विशेष मार्ग के लिये पूछा था।
माता-मुझे यह तो बता कि सूरिजी ने तुझे क्या मार्ग बतलाया है ? ८१४
[ आचार्य श्री और भीमदेव का संवाद
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