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________________ आचार्य देवगुप्तहरि का जीवन ] [ ओसवाल संवत् ७५७-७७० ॐकार ने जाला ने Arrn Arr TE माला ने ५-हर्षपुर से कुम्मट गौ० , काल्हण ने ६-श्राघाट नगर से श्रीमाल चतरा ने ७-मथुरा से बलाह गौ० नरदेव ने ८-शालीपुर से श्रेष्टि पृथुसेन ने ९-डामरेल से भूरि गौ. १. भुजपुर से प्राग्वट वंशी , ११-चन्द्रावती से श्रीमाल वंशी , मादू ने १२-सोपार पहन से कुलभद्रगौ० , फागु ने १३-ढाणापुर से करणाट गौ० १४--चंदेरी से श्रेष्टि ,, मंत्री हाला ने १५-सत्यपुर से प्राग्वट , मंत्री नारा ने १६-खटॉप का अदित्यनाग सुलतान युद्ध में काम आया उसकी स्त्री सती हुई १७-नागपुर का अदित्यनाग वीर भारमल युद्ध में १८-पद्मावती का चरड़ गौ० वीर हनुमान , " " १९-रानीपुर का तप्तभट्ट गो० शाह लुम्बो २०-डिडु नगर का मल्ल गौ० शाह देदो २१--कन्याकुब्ज का श्रेष्टि० वीर शादूल २२--खटकुंप नगर में सुचंति गौ० नोंधण की स्त्री ने एक कुँवा खुदाया २३-हँसावली का श्रेष्टि धनदेव की विधवा पुत्री ने एक तलाव खुदाया २४--विराट नगर के चोरलिया नाथा ने दुकाल में शत्रुकार दिया इत्यादि वंशावलियों में उपकेश वंश के अनेक दान वीर उदार नर रत्नों ने धर्म सामाज एवं जन कल्याणार्थ चोखे और अनोखे कार्य कर अनंत पुन्योपार्जन किये जिन्हों की धवल कीर्ति आज भी अमर है। यह नोंध वंशावलियों से नमूना मात्र ली गई है परन्तु इस उपकेशवंश में जैले उदार दानेश्वरी हुए हैं वैसे अन्य वंशों में भी बहुत से नर रत्न हुए हैं। उस समय के उपकेश वंशी मंत्री महामंत्री सेनापति आदि पदकों सुशोभित कर अपनी वीरता का परिचय दिया करते थे यदि वे कहीं युद्ध में काम आजाते तो उनकी पत्नियों अपने सतीत्व की रक्षा के लिये अपने पतिदेव के पिछे प्राणापर्ण कर अपना नाम वीरांगणने में विख्यात कर देती थी। जिनके नमूने मात्र यहां बतलाया है। सूरीश्वरजी महाराज के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएँ १-मावोजी के चिंचट गौत्र शाह जुजार ने पार्श्वनाथ प्रतिमाए २-जैनपुर के बाल्पनाग० , कासा ने महावीर , ३-नारदपुरी के आदित्यनाग , कर्मा ने , ४--मादड़ी के करणाट , हाना ने , सरिजी के शासन में प्रतिष्टाएँ ] Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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