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________________ आचार्य देवगुप्तसूरी का जीवन ] [ ओसवाल सं० १०८०-११२४ मुजारने सवलाने १७-तारापुर के समदढ़िया गोत्रिय काना ने भ० महावीर म० १८-पेसियाली , श्री श्रीमाल, जेकरण ने , ,, १९-मोतीसरा , श्रीमाल , देपाल ने , २०-कोठरा , श्रीमाल , मोकल ने वासपूज्य २१-गोविंदपुर , श्रीमाल , सेनीने विमलनाथ २२-भालुगाव , चिंचट। ब्रह्मदेवने नेमीनाथ २३-राजपुरा , कुमट , सेजपालने मल्लीनाथ २४-राणकपुर , रांका , अवड़ने महावीर २५-तल्लोग , करणावट, सालगने २६-विदांमी , प्राग्वट , रामाने , पार्श्वनाथ २७-त्रिभुवनषुरा , प्राग्वट " २८-खेड़ीपुर , श्रीमाल " २९-पुलासिया , ब्राह्मण , जगदेव ३०-रायनगर , तप्तभट बोस्टने अजित ३१-खुखाली , मोरख ।, धनाने नेमिनाथ ३२- कलालीपुर , श्रीमाल , वाघाने , महावीर ३३-रायटी , श्रीमाल , राणाने ३४-पतजड़ी , सुचंति , रामाने , पार्श्वनाथ , सूरीश्वरजी के ४४ वर्षों के शासन में संघादि शुभ कार्य १-जाबलीपुर के तोडियाणी गो० जिनदासने शत्रुजयका संघ २-वाघ्रपुर , कोठारी , धन्ना ने ३-नंदावती चोरडिया संघदास ने ४-सत्यपुरी वलाह-रांका नेतसी ने ५-उपकेशपुर सुचंति मोहण ने ६-मालीवाड़ा फूओ ने ७-दान्तिपुर श्री श्रीमल जैतसी ने ८-श्राशिका राजसी ने ९-खाखांणी श्रीमाल १०-मारोटकोट भाद्र डावर ने ११--त्रिभुवनगढ़ , श्रेष्टि १२- दर्शनपुर श्रीमल १३-नारदपुरी , पल्लीवाल परीश्ववरजी के शासन में संघादि प्राग्वट गुणाढ़ ने माला ने दुर्गा ने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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