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वि० सं० ६८० से ७२४]
[भगवान् पार्श्वनाथ को परम्परा का इतिहास
लालनने
हणुमनने
, श्रेष्टि गौत्र
" क्षत्री
२०-हाजारी के प्राग्वट गोत्रिय समराने दीक्षाली २१-माण्डव पल्लीवाल २२-उजैन श्रीमाल
नागदेवने २३-मध्धमा श्रेष्टि
नारायणने २४-चंदेरी , श्री श्रीमाघ २५-मारोट
लाखणने २६-देरावल " अदित्यनाग० पदमाने २७-मालपुर , श्री माल
भोजाने २८-वीदपुर ,, भूरि
सरवणने २९-रेणुकीट
भोलाने ३०-गोसलपुर , आर्य०
वागाने ३१-सीनापुर , मोरख
वीजाने ३२-डामदेल , विनायकिया पारसने ३३-पाराकर , ब्राह्मण
सोमदेवने ३४-ताजोरी
, ठाकुरसीने , प्राचार्य श्री के ४४ वर्षों के शासन में मन्दिरों की प्रतिष्ठाएं १-कीराटकुंप के श्रेष्टि गोत्रीय हरदेव ने भ० महावीर भ० म० २-भालासणी , चोरलिया, स्सादो ने " " ३-जोगनीपुर , बलाहा ,
चोखाशाह , पार्श्वनाथ ४-विजापुर , मोरख ,
भाणा ने , " ५-नरबर , वीरहट , रावल ने , ६-जावलीपुर , कुम्मट , लादा ने ७-चंदपुरी
देदेशाहा ने , महावीर ८-मेलवाड़ा गाग्वट , मुलाने ९-नन्दीपुर
जैताने १०-पुनाड़ी
कुलाघर ने १९-देवपटण
लुंबा ने ,, आदीश्वर १२-मुशाणी , पल्लीवाल सिंहा ने १३--धाकोटी
कोकाने नेमिनाथ १४-लालपुर , गान्धी महादेव १५-धोलागढ़ , बोहरा , हाल्ला ने
शान्तिनाथ १६-गडवाडी , मंत्री मेहताने ११.६
सूरीश्वरजी के शासन में प्रतिष्ठाए Jain Education International
" डिडु
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