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________________ आचार्य देवगुप्तसरि का जीवन ] [ ओसवाल सं० १०८०-११२४ खेमने खूब जोरों से बढ़ाया। अनेक महानुभावों को श्रमण दीक्षा दी। लाखों मांसाहारियों को जैनधर्म में संस्कारित किया। अनेक मंदिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएं करवाई। आपका समय चैत्यवासियों की शिथिलता का समय होने से आपने कई स्थानों पर श्रमण सभा कर शिथिलता को मिटाने का खूब प्रयत्न किया। इसमें आपको पर्याप्त सफलता भी हस्तगत हुई। वादी, प्रतिवादी तो आपका नाम सुनते ही घबग रठते थे। आपके व्याख्यानों की छाप बड़े२ गजा महाराजाओं पर पड़ती थी अतः कई बार आपका व्याख्यान राजाओं की सभा में हुआ करता था । आप जीवन इस तरह ज कल्याण के कार्यों में व्यतीत हुआ। अन्त में श्रापश्री ने शत्रुन्जय तीर्थ पर देवी सच्चायिका की सम्मति और नारदपुरी के प्राग्वट वंशीय शा. डावर के महा महोत्सव पूर्वक उपाध्याय चन्द्रशेखर को सूरिपद प्रदान किया । श्राप तब ही से अपनी अन्तिम संलेखना में लग गये । चंद्रशेखर मुनि का नाम परम्परागत क्रमानुसार सिद्धसूरि रख दिया श्रीदेवगुप्तसूरि ने ११ दिन के अनशन के पश्चात् समाधि पूर्वक पञ्च परमेष्टी का स्मरण करते हुए स्वर्ग पुरी की भोर पदार्पण किया जैन धर्म की उन्नति करने वाले ऐसे महापुरुषों के चरण कमलों में कोटिशः वंदन ! आफ्के समय में हुए तीर्थादि कार्यों की संक्षिप्त नामावली निम्न प्रकारेण है। श्राचार्य भगवान् के ४४ वर्ष के शासन में भावुकों की दीक्षाए १-चन्द्रावती के प्राग्वट गोत्रीय लुम्बाने दीक्षाली २-शिवपुरी , भाद्र " चांदणने ३-नादुली प्राग्वट ४-पाहिका , श्रीमाल नाथोंने ५ कोरटपुर ,, गुलेच्छा गोमोने ६-आशिका देदाने ७-हर्षपुर कोटारिया पेथाने ८-भावणी कुम्मट सेणाने ९--देवाड़ी ,, लघुष्टि जोजाने १० - क्षत्रिपुरा डावरने ११-कोसण ,, पल्लीवाल १२-बुगाड़ी , पावेचा वीराने १३-लालोडी देवाने १४-जाबलीपुर , चौहान चुनाने १५-बालापुर ,, चोरडिया जेकरणने १६ -शिवगढ़ , तप्तम कुंबाने १७-देवाली , बप्पनाग १८-सत्यपुरी , पोकरणा करनाने १९-टेलीप्राम , प्राग्वट सांगणने सूरीश्ववरजी के शासने दीक्षाए ११०५ Jain Education In Sonal :, पाटणी , सुचेति फूत्राने , समदड़िया बोटसने For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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