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आचार्य ककसूरी का जीवन ]
१० - नागपुर से अदित्य नाग० नोंधण ने शत्रुंजय का संघ निकाला ११ - भद्रेसर से श्रीमाल हाप्पाने
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१२ - धोलपुर के प्राग्वट पोमा की विधवा स्त्री ने गाव के पूर्व दिशा में तलाब खुदायो १३ - पद्मावती के प्राग्वट जैता की पुत्री रूकमणी ने पग वाव खुदाई
१४ - शंखपुर में श्रेष्टि साचा की पुत्री धनी ने एक तलाब खुदायो
१५ - कोरंटपुर का प्राग्वट जैमल युद्ध में काम श्राया उसकी स्त्री सती हुई १६ - रामसेणा में भरि अर्जुन की विधवा पुत्री तालाब खुदायो
काम आया
१७ - शिवगढ़ में श्रेष्टि नागदेव युद्ध में काम प्रायो उसकी स्त्री सती हुई १८ - उपकेशपुर का वीर वीरम युद्ध के १९ - भोजपुर का भाद्र गौत्रीय संगण २०- नागपुरका मंत्री भोजा
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२१ - मेदनीपुर का डिडू० काल्हण उस जमाना में जैन लोग सर्व जनिक उपयोगी कार्य तालाब कुवा वापियों भी खुदाते थे तथा उस जमाने में छोटे छोटे राज थे ओर थोड़े थोड़े कारण से आपस में युद्ध करने लग जाते थे उनके सेनापति वगैरह भी उपकेश व ंशीय ही होते थे । और वे युद्ध में वीरता के साथ युद्ध कर देवत्व को प्राप्त हो जाते थे तो उनकी स्त्रियां अपने ब्रह्मचर्य की रक्षा के निमित्त उनके पीछे सतीयो वन जाती थी जिन्हों के स्मृति के किये चौतरे वगैरह भी बनाये जाते थे कई स्थानों पर तो अभी तक चौतरे विद्यमान भी है और वहुत से समयाधिकता के कारण नष्ट भी हो गये है । सतियों का होना खास कर तो अंग्रेजों का भारत में राज होने के बाद इस प्रथा का अन्त हो गया यद्यपि ऐसा मरण प्रायः बाल मरण ही कहा जाता प्रशंसा करने योग्य नहीं है पर उस समय की वंशावलियों में इस वाने को उल्लेख किया है अतः मैंने भी यहाँ दर्ज कर दिया है इससे यह ज्ञान हो जायगा कि किस समय तक यह प्रथा चलती रही थी ।
१ - उपकेशपुर
२ --- नागपुर
३- शाकम्भरी
४ - पल्हिका
५ - नारदपुरी
६ - वीरपुर
७ - चन्द्रावती
८- डमरेल
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९-मालपुरा से १० - सोपार पट्टन से
सूरिजी के शासन में सद्कार्य
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प्राग्वट० हाप्पा ने
श्रीमाल० दुर्गा ने
भूरिगौ० राजा ने
पूज्याचार्यदेव के शासन में यात्रार्थ संघ एवं शुभ कार्य
श्रेष्टि० रावल ने शत्रुंजय का संघ निकाला
श्रदित्य ० चांपा ने
पल्ली ० जैता ने
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समडिया सहसकरण,,
श्रेष्टि० देपाल ने
बाप नग० रूपण ने सुचंति घरमण ने
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[ ओसवाल सं० ६५८ से १००१
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