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________________ वि० सं० ५५८ से ६०१ ) ११ - स्तम्मनपुर से से १२ – लुनावपुर से १३ – मथुरा १४ - मेदनीपुर से से १०२४ Jain Education International श्रीमाल० सहारण ने शत्रुंजय का संघ निकाला प्राग्वट नोढ़ा ने 33 "" 93 मोरख० नारायणने सम्मेत शिखर का " कुमट० सहदेव ने शत्रुंजय का देसरडा० नाथा ने श्रेष्टि० नारायण ने [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास 22 १५—–रत्नपुरा १६ - माडव्यपुर से इनके अलावा भी बहुत से तोर्थों के संघ निकाले १ - वि० सं० ५६४ में जन संहार दुष्काल २ - वि० सं० ५७२ में सर्व देशी दुष्काल० मारवाड़ के महाजन संघ ने ३ - वि० सं० ५८१ में मारवाड़ में दुकाल पढ़ा उपकेशपुर के महाजनों ने 35 33 39 ४ - वि० सं० ५९३ में बड़ा भारी कहत पड़ा महाजनों ने असंख्य द्रव्य व्यय किये ५ - वि० सं० ५९९ में भयंकर दुकाल पड़ा 99 "3 ६ - उपकेशपुर का श्रेष्टि पृथ्वीधर युद्ध में काम आया उनकी स्त्री सतीहुई ७- नागपुर का आदित्य • मंत्री जेहल युद्ध में ८ - चन्द्रवती प्राग्वट सोभो युद्ध में काम आयो ९ - मावती का प्राग्वट मंत्री कोक्क १०- - सोजाली का डिडु० होनो ११ - भाद्रगौत्र सलखरण की विधवा पुत्री क्षत्रीपुर में बावड़ी बनाइ १२ - बलाहगौत्र रामा की विधवा स्त्री राजपुर में तालाव खोदाया 39 "3 १३ - वीरपुर के सुचंति नारायण की स्त्री ने एक कुवा खोदायो १४ - जैतपुर के चरड़ कांकरिया पेथाने तलाव खुदायो "" "" 99 "" 39 "" "" "" "3 19 पड़ा महाजन संघ ने असंख्य द्रव्य व्यय "" "" 12 For Private & Personal Use Only "" "" 35 59 "2 15 19 39 पट्ट छतीसवें ककसूरि हुए, श्रेष्टिगौत्र के भूषण थे करे कौन स्पर्द्धा उनकी, समुद्र में भी दूषण थे प्रभाव आपका था अति भारी, भूपति शिश झुकाते थे तप संयम उत्कृष्ट क्रिया, सुरनर मिल गुण गाते थे इति भगवान् पार्श्वनाथ के छतीसवें पट्ट पर आचार्य कक्कसूरि महान् प्रभाविक हुए "" १५ - खेतड़ी के तप्तभट्ट० नागदेवी की स्त्री जोजी ने तलवा खोदाया इनके अलावा भी महाजनों ने अनेक जनोपयोगी कार्य कर देश भाइयों की सेवा कर अपनी उदार तिका परिचय करवाया इति आचार्य 59 97 "3 • www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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