________________
वि० सं० ५२०-५५८ वर्ष ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा काइतिहास
१४ मोल के फैसले पर धारासिव है और वहां से २-३ मील जाने पर जैनों की सात गुफाएं आती हैं। जिसमें एक गुफा बहुत बड़ी है उसमें बहुत अच्छा नकशी का काम हुआ है और भ० पार्श्वनाथ की सप्त फण वाली मत्ति विराजमान है वह भ० पार्श्वनाथ के शरीर प्रमाण श्याम वर्ण की है इनके अलावा छोटो बड़ी सब गुफाओं में तीर्थकरों की मूर्तियां है
२२ --- एल्लुरा की गुफाएं यह स्थान दोलताबाद से १२ मील की दूरी पर आया हुआ है। जहाँ की पहाड़ी पर जैनों की ३२-३३ गुफाएं आई हुई हैं जिसमें पांच गुफाएं बहुत ही बडी है पुराणे जमाने की शिल्प कला वडी ही दर्शनीक है इन गुफाए के विषय बहुत से पौवत्यि पाश्चात्य विद्वानों ने लेख लिख प्रसिद्ध कर चूके हैं। अतः यहाँ स्थानाभाव अधिक नहीं लिखा गया है ।
२३--सोतावा यहाँ पर एक पहाडी भूमि से २३४९ फूट उच्ची है और तीन बड़ी गुफाएं है जिसमें एक तो दो मंजिल की है जिसके ऊपर के भाग में भ० महावीर की मूर्ति है नीचे की दो गुफाओं में एक में पार्श्वनाथ की दूसरी में एक देवी की खण्डित मूर्ति है ।
२४ - चुनावा यहाँ जैनों की एक गुफा है जिसमें एक खण्डित जैन मूर्ति है ।
२५- राजगृह के पांच पहाड़ों में भी जैनों की दो बड़ी गुफाएं है जिसमें एक का नाम सप्ता दूसरी का सोनभद्रा इन गुफाओं के विषय डॉ० सरकनिंगहोम ने विस्तृत लेख लिखा था तथा इन गुफाओं में एक शिलालेख भी मिला है जिससे पाया जाता है कि प्रस्तुत गुफाएं ईसा की दूसरी शताब्दी में मुनि देव के लिये बनवाई गई थी ।
इनके अलावा भी भारत के अन्योन्य प्रान्तो से सेकड़ों नहीं पर हजारों गुफाएं इस समय भी विद्य मान हैं जो शोध खोज करने से पत्ता मिल सकता है हाँ उन गुफाओं में इस समय साधु तो शायद ही रहता हो पर इतिहास के लिये बड़ी काम की एंव उपयोगी है इन गुफाएं का निरीक्षण करने से यह पत्ता लग जाता है कि एक समय भारतीय सब धर्मों के साधु जंगलों की गुफाओं में रह कर अपना जीवन परम शांन्ति एवं अध्यात्म चिन्तन करने में व्यतित करते थे और इन एकाग्रता के कारण उन्हों को अनेक चमत्कारिक विद्याए एवं लब्धियों भी प्राप्त हो जाति थी और उन लब्धियों द्वारा वे संसार का कल्याण कर सकते थे क्या कभी फिर भी ऐसा जमाना श्रावेगा कि हमारे भारतीय श्रमण जंगलों में रह कर उन विद्याओं को हासिल कर संसार का कल्याण करेगा ।
१००८
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
जैन गुफाएँ
www.jainelibrary.org