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आचार्य सिद्धार का जीवन ]
[ ओसवाल सं० ९२०-९५८
ऋषभदेव की मूर्ति है वहाँ पर दिगम्बर जैनों का किसी समय प्रभुत्व रहा होगा इस नासिक नगर का नाम पुराने जमाने में पद्मपुर नाम था यहाँ रामचन्द्र और सुर्पनखा का मिलाप हुआ था
१३-चमारलेन-यहां की पहाड़ी ६०० फुट ऊंची है यहां पर एक प्राचीन जैन गुफा है यहां दिगम्बर जैनों का गजपथ नामक तीर्थ था।
१४-मागी तुंगी-यह भी दिगम्बर जैनों का सिद्धक्षेत्र नाम का तीर्थ है मनमाड़ स्टेशन से कई ५० मील दूर है यहां दो पहाड़ियां साथ में मिली हुई हैं और ५-६ गुफार भी हैं।
१५-~-पूना शहर के आसपास में भी कई पहाड़ियां और जैन गुफाएं हैं जैसे वेडला के पास सुपाइ पहाड़ी भूमि से ३००० फुट ऊंची है वहां दो गुफाए हैं उनमें कई शिलालेख भी हैं। भाजणावा को पहाड़ी के आसपास बौद्धों की १८ गुफाएं हैं उरमें कई गुफाएं तो जैनों की हैं । करली ग्राम के पास भी कई जैन गुफाए हैं तथा एक वामचन्द्र गुफा भी जैनों की गुफा है ।
१६ - सितारा जिला में भी कई पहाड़ियां और कई गुफाएं आ गई हैं जैसे कराद नगर के आसपास ५४ गुफाएं हैं जिसमें कई बौद्धों की और कई जैनों को हैं तथा लोहारी ग्राम के पास भी बहुत सी गुफाएं आई हुई हैं संशोधन करने की खास जरूर ।
१७-धूमलवाडी-यह स्थान सितारा स्टेशन से नजदीक कोरेगांव तालुका यहां एक गुफा है जिसमें भगवान पार्श्वनाथ की मूर्ति है और कई गुफाए धूल से भर गई हैं।
"इस सितारा जिला के लिए 'कम्पीरियल गजटियर बम्बई प्रान्त भाग' (सन् १९०९) सफा ५३९ पर लिखा है कि
"The gains in satıra dist represent a survical of early gainish which was ance the religion of the rulers of the kingdom of Cargatec
१७-ऐवल्ली ( गहोली ) यहाँ की पहाड़ियों में बहुत सी जैन गुफायें हैं वे गुहायें बहुत प्राचीन हैं उनके अन्दर बहुत सुन्दर नकशी का काम हुआ पाया जाता है तथा कई गुफाओं में जैन मूर्तियां भी हैं इन सबों को देखते विद्वानों ने यही अनुमान लगाया है कि किसी समय इस प्रान्त में जैन धर्म की बड़ी भारी जाहुजलाली थी और हजारों जैन श्रमण इन गुफाओं में रह कर तप संयम की आराधना करते होंगे एवं यहाँ के राजा प्रजा सब के सब जैन ही होंगे।
१८-बादामी की गुफायें-यहाँ की प्राचीन गुफायें बहुत प्रसिद्ध हैं इस बादामी की गुफाओं के लिये बहुत विद्वानों ने कई लेख भी लिखे थे वहाँ की गुफा बहुत करके जैनों की ही है कारण इन गुफाओं में वर्तमान भी जैन तीर्थकर पार्वनाथ और महावीर की मूर्तियां विराजमान हैं बहुत से यूरोपियन विद्वानों ने यहाँ की गुफा का निरीक्षण करके यही अभिप्राय वक्त किये थे कि शिल्प कला के लिये तो वह गुफायें अपनी शान ही रखती हैं कहा जाता है कि विक्रमीय छटी सातवीं शताब्दी में यहाँ के जैन राजा जिन गज की भक्ति से प्रेरित हो जैन श्रमणों के लिये गुफायें एवं मूर्तियों की प्रतिष्ठा करवाई होगी।
१९-हेनुसंग-यहां भी एक पहाड़ी और जैन गुफा जिसमें जैनमूर्ति है । २०-जोलावा यहां भी एक प्राचीन गुफा और दो खण्डित मुतियां हैं।
२९-धारासिव-वर्तमान में इसका नाम उस्मानाबाद है और बारसी रेलवे लाइन का एडसी स्टेशन जैन गुफाएँ
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