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________________ बि० सं० ५२०-५५८ वर्षे ] [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास विजय पट्टण के राजाओं की वंशावली राव उत्पलदेव के पांच पुत्रों से विजयराव ने उपकेशपुर से कई ४० मील की दूरी पर रेगिस्तान भूमि में एक नूतन नगर आबाद किया जिसका नाम विजय नगर रक्खा था जब नगर अच्छा श्राबाद हो गया और व्यापार की एक खासी मंडी बन गई तब लोग उसे विजयपट्टन के नाम से पुकारने लग गये । १ विजयराय यह महाराजा उत्पलदेव का पुत्र था और इसने ही विजयनगर को आवाद किया था पार्श्वनाथ का मन्दिर बनाया और अपने पिता की तरह जैन धर्म का काफी प्रचार कराया । २-- राव सुरजण - आप विजयराव के पुत्र और बड़े ही वीर राजा हुए आपने राज्य की सीमा रेगिस्तान की ओर खूब बढ़ाई थी आप जैनधर्म के प्रचार में जैन श्रमणों के हाथ बटाये तथा श्री शत्रु जयदि तीथों की यात्रार्थ संघ भी निकाला था । ३——राव कुम्भा-आप नं० २ के पुत्र थे आपकी वीरता के सामने अन्य लोग घबराते थे । ४ -- राव मांडो -- श्राप नं ३ के पुत्र थे श्राप बड़े ही धर्मात्मा थे कई बार तीर्थ की यात्रा कर भाप अपने को पवित्र हुए समझते थे । ५ -- शव दाहड़ - श्राप नं० ४ के पुत्र थे ६ -- राव कला- आप नं०१५ के लघु भ्राता थे ७-- राव जल्हण - आप नं० के ६ पुत्र थे ८-- राव देवो- आप नं० ७ के पुत्र थे ९ -- राव वसुराव- आप नं० ८ के पुत्र थे आपके पुत्र न होने से धर्म की ओर अधिक लक्ष दिया करते थे अपने श्री शत्रु जय गिरनारादि तीर्थों की यात्रा में पुष्कल द्रव्य शुभ क्षेत्र में व्यय किया था राव वसु का देहान्त होने के बाद विजयपट्टन का राज उपकेशपुर के श्री रत्नसी ने छीन कर उपकेशपुर के अन्दर मिला लिया अतः उस समय से विजय पट्टन का राज उपकेशपुर के अन्तर्गत समझा जाने लगा । शंखपुर नगर के राजाओं की वंशावली शंखपुर नगर राव उत्पल देव के पुत्र शंख ने आबाद किया था वंशावलियों में इस नगर का नाम शंखपुर लिखा है वर्त्तमान में शंखवाय कहा जाता है राव शंख ने नगर के साथ भ. पार्श्वनाथ का मन्दिर भी बनाया ९८४ WAKAAN VAN कि नया नगर वसावे तो पहला देव स्थान तथा जैनों को उपदेश देकर जैन बनाया वहाँ भी जैन धर्म का स्तंभ है इस निर्मित कारण आरमा था पहले जमाना में यह तो एक पद्धति ही बन चुकी थी नया मकान बना वे तो प्रायः पहला घरमन्दिर तथा जहाँ मन्दिर तत्काल ही बना दिया जाता था कारण मन्दिर एक में हमेशा धर्म की भावना बनी रहती है श्रतः राव उत्पलदेव का पुत्र नया नगर आबाद करे वहाँ मन्दिर का निर्माण करावे इसमें ऐसी कोई विशेषता की बात नहीं कही जा सकती है शंखपुर राजाओं की नामावली वंशावलियों में निम्नलिखित दी है । १- शंख राव इसने शंखपुर में पार्श्वनाथ का मन्दिर बनाया । R - जोघड इसने तीथों की यात्रार्थ संघ निकाला । ३ - नारो -- यह बडा ही वीर राजा था । Jain Education International For Private & Personal Use Only विजय पडून का राजवंश www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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