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वि० सं० ५२०-५५८ वर्ष ]
[ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
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१५ शिलादित्य (६)
, ७२२-७६० मं०१४ का पुत्र १६ शिलादित्व (७)
, ७६०-७६६ नं० १५ का पुत्र
__ मरुधर देश के जैन नरेशमरुधर प्रदेश में प्राचार्य रत्नप्रभसूरीश्वरजी महाराज ने पदार्पण कर जैन धर्म की नींव डाली तक से ही वहाँ के नरेशों पर जैन धर्म का बाच्छा प्रभाव पड़ा सब से पहला उपकेशपुर के राजा उत्पलदेव ने जैन धर्म को स्वीकार किया बाद तो क्रमशः अन्य नरेश भी जैन धम को अपनाते गये और समयान्तर सिन्ध कच्छ सौराष्ट्र लाट मेदपाट श्रावंती शूरसेन और पांचालादि देशों में भी उन प्राचार्यों ने घूम घम कर सर्वत्र जैन के प्रचार को खूब बढ़ाया जिसका उल्लेख वंशावलियों एवं पट्टावलियों में विस्तार से मिलता है
उपकेशपुर के राजाओं की नामावली १-राव उत्पलदेव-श्राप श्रीमाल नगर के राजा भीमसेन के पुत्र थे आपने ही उपकेशपुर के आवाद किया था आचार्य रत्नप्रभसूरि ने सब से पहला आप को ही वासक्षेप के विधि विधान से जैन बनाये थे और जैन धर्म के प्रचार में भी आप का ही सहयोग था श्रापने उपकेशपुर की पहाड़ी पर भ० पार्श्वनार का विशाल एवं उतंग मन्दिर बनाया तथा मरुभूमि से सबसे पहला तीर्थ श्रीशत्रु जय का संघ भी निकाला थ इत्यादि मरुधर में यह सबसे पहला जैन नरेश हुआ।
२-राव सोमदेव-आप राव उत्पलदेव के पांच पुत्रों में बड़ा पुत्र है इसने भी जैन धर्म की उन्नति एवं प्रचार के लिये बड़ा ही भागीरथ प्रयत्न किया था।
३-राव कल्हणदेव-यह राव सोमदेव का पुत्र है आपने जैन धर्म की प्रभावना बढ़ाते हुए उप केशपुर में भ० ऋषभदेव का मन्दिर बनाया था।
___ ४र-व विजयदेव-यह राव कल्हण का लघु पुत्र है इसने उपकेशपुर से एक विराट् संघ तीर्थ की यात्रार्थ निकाल कर शत्रुजयादि तीर्थों की यात्रा की थी।
५-राव सारंगदेव-यह राव विजयदेव का पुत्र है इसके शासन काल में उपके शपुर में एक श्रमण एवं संघ सभा हुई थी जिसमें जैन धर्म का प्रचार के लिये खूब जोरों से उपदेश एवं प्रयत्न किया गया था
६-राव धर्मदेव-यह राव सारंग का छोटा भाई था और बड़ा ही वीर था जैन धर्म का प्रचार के लिये श्राचार्य एवं श्रमणों का खूब हाथ बटाया था।
७-राव खेतसी-श्राप राव धर्मदेव के पुत्र हैं इसने भी जैन धर्म की उन्नति के लिये तन मन और धन से खूब कोशिश की थी अंत में आप अपने लौतासा पुत्र के साथ प्राचार्य ककसूरि के पास जैन दीक्ष स्वीकार की थी।
८-राव जेतसी-श्राप राव खेलसी के पुत्र थे आपने अपने पिता का प्रारंभ किया भ० महावी के मन्दिर को पूरा करवा कर प्रतिष्ठा करवाई थी।
९-राव मोहणसी-आप राव जेतसी के पुत्र हैं आपके शासन समय एक जन संहार दुकाल पर था रावजी के प्रयत्न से उपकेशपुर के महाजनों ने एक एक दिन का खर्चा देकर देशवासी भाइयों की पशुओं का पालन किया।
उपकेशपुर का राजवं
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