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आचार्य सिद्धसरि का जीवन ]
[ओसवाल सं० ९२०-९५८
१०-राव रत्नसी-श्राप राव मोहणसी के पुत्र हैं आपके शासनकाल में कई विदेशियों के आक्र. मण हुए थे आपके सेनापति श्रादित्यनाग गौत्रीय वीर भादू था और उनकी वीरता से ही पाप विजयी हुये थे।
११-राव नाइसी-श्राप राव रत्नसी के लघु पुत्र हैं आपके शासन समय जैन धर्म अच्छी उन्नति पर था आप के एक पुत्र दो पुत्रियों ने जैन दीक्षा ली थी।
१२-राव हुल्ला -यह राव नाउक्षी के पुत्र हैं आपके परम्परासे चला आया धर्म में आशंका करके पाखंडियों के अधिक परिचय के कारण जैन धर्म से परांमुख होगये थे पर आचार्य सिद्धसूरि के सद् उपदेश से पुनः जैन धर्म में स्थिर हो जैन धर्म की खूब प्रभावना की आपके एक पुत्र ने जैन दीक्षा भी ली थी।
१३-राव लाखो-आप राव हल्ला के पुत्र और बड़े ही प्रतापी राजा थे ।
१४-राव-धून-आप राव लाखा के पुत्र हैं आपके समय एक देशव्यापी दुःकाल पड़ा था जिसमें आपने बहुत द्रव्य व्ययकर अपनी प्रजा के प्राण बचाये थे और बहुत लोगों को जैनधर्म में स्थिर रखे ।
१५-राव केतु-आप राव धूम के पुत्र हैं आप बड़े ही धर्मात्मा थे जैन श्रमणों की उपासना में आप हमेशा उपस्थित रहते थे आपने तीर्थ थी शत्रुजय का संघ निकाल कर यात्रा की तथा वहाँ पर एक जैन मन्दिर बनवाया और सधर्मी भाइयों को एक एक लड्डू में पांच पांच सोना मुहरों को प्रभावना दी थी
१६-राजा मूलदेव-आप राव केतु के पुत्र हैं आपने जैनधर्म का प्रचारार्थ उपकेशपुर में एक श्रमण सभा बुलाकर बड़ा ही स्वागत किया था एवं परामणी दी थी।
१५-राजा करणदेव-आप मूलदेव के लघु बान्धव थे आपके प्रधान मंत्री श्रेष्टि गौत्रीय वीर रानसी था और सेनापति बाप्पनाग गौत्रीय शाह सुरजन थे इनके प्रयत्नों से आप अपने गज की सीमा बहुत बढ़ायी और जैनधर्म का भी काफी प्रचार बढ़ाया था।
१८-राजा जिनदेव-पाप करणदेव के पुत्र थे आपका शासन बड़ा ही शान्तमय था। आपका लक्ष राजकी अपेक्षा धर्म की ओर अधिक मुका हुआ था।
१९-राज भीमदेव-श्राप जिनदेव के पुत्र थे । आपने संघ के साथ शर्बुजय गिरनार की यात्रा की और बारहप्राम तीर्थ खर्च के लिये भेंट किये थे।
२०–राव भोपाल-अाप भीमदेव के पुत्र थे । आपके शासन समय विदेशियों के देश पर हमले होते थे एक जत्था उपकेशपुर पर भी आक्रमण किया किन्तु राव भोपाल उसका सामना कर भगा दिया था जैसे राव भोपाल वीर था वैसे ही उसकी सेना भी बड़ी लड़ाकू थी सेना में अधिक सिपाही उपकेसवंश के ही थे। इसना ही क्यों पर सेनापति वगैरह भी उपकेशवंश के वीर रहे थे।
२१- राव त्रिभुवनपाल-आप राव भोपाल के पुत्र थे आप भी जैनधर्म के प्रचारक थे आपने भाचार्यदेव को बहुत अाग्रह से उपकेशपुर में चतुर्मास करवाया था और आपने खूब मन तन और धन से लाभ उठाया आपका सधर्मी भाइयों की ओर बहुत अधिक लक्ष था।
२५ - राव रेखो-आप राव त्रिभुवनपाल के पुत्र थे। आपकी माता वाममार्गियों की उपासका थी जिससे आप पर भी थोड़ा बहुत असर होगया था पर उपकेशपुर के राजा प्रजा का प्रायः धर्म एक उपकेशपुर का राजवंश
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