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आचार्य सिद्धम्ररि का जीवन ]
[ ओसवाल संवत् ९२०-९५८
पुनड़ ने
गेंदा ने
पाता ने
२२-बीरपुर के भूरि गौ० , २३-उचकोट के कनोजिया
पोमा ने २४-हाप्पा के डिडुगौत्र
लाखण ने २५-शिवनगर के लघुष्टि
रणदेव ने २६-भुजपुर के कुमट गौ०
पोलाक ने २७-नागणा के करणादृगौ.
अरुणदेव ने २८-शत्रुजय के बलाहा गौ० , हर्षदेव ने २९-- बर्द्धमानपुर के मोरक्ष गौ० , चुड़ा ने ३०-खोखल के चोरलिया. , ३१-~भरोंच के बाप्य नाग गोत्र ,, गोल्ह ने ३२-सोपार के रांका जाति , पीरोज ने ३३-लोहारा । के श्रेष्टि गौ० , फूवा ने ३४-मोखली के अदित्यनाग० , ३५-कुलोरा के सुचंतीगौ०
जेकरण ने ३६ -- उज्जैन के बोहराजाति
नायक ने ३७-माण्डवदुर्ग के श्रीमाल वंश , जाकण ने ३८-चन्द्रावती के प्राग्वट वंश शाह बोदु ने ३९-चंदेरी के प्राग्वट वंश , ४०-चापड़ के क्षत्री वंश वीर खेतसी ने ४१-कोरंटपुर के ब्राह्मण
शिवदास ने ४२-सत्यपुर के श्रीवंश जाति शाह करमण ने ४३-पालिहका के सुचंति गौत्र , भैंसा ने ४४-चरपट के कुलभद्र गौ० ,
सांजण ने इनके अलावा पूर्व एवं दक्षिण में भी सूरिजी के चरण कमलों में बहुतसी दीक्षाएँ हुई थी तथापि यहाँ पर तो प्रायः उपकेश वंशियों की जो वंशावलियों में नामावली दी है उनके थोड़े से नामोल्लेख किये है:
प्राचार्यश्री के शासन में तीर्थों के संघादि सद्कार्य:१--पाहिक नगरी से सुचंति गौ० शाह देदेने श्री शत्रुञ्जय का संघ निकाला २-कोरंट पुर से प्राग्वट नेना ने ३-चन्द्रावती से सेठ सालग ने
श्री सम्मेत शिखरजी का , " ४-पद्मावती से श्रेष्टि गौ० मेहराज ने श्री शत्रुञ्जय तीर्थ का , , ५-नागपुर से आदित्यनाग. शाह धन्ना ने
६-मेदनीपुर से कुमट गौ० जैतसी ने ६१८
[सरिजी के शासन में तीर्थों का संघ
राजा ने
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