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________________ वि० सं० ४४०-४८० वर्ष [ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास प्राचार्यश्री के शासन में तीर्थों के संघ १-शाकम्भरी से भूरिंगौत्री शाह नागड़ने श्रीशत्रुजय का संघ निकाला २-पद्मावती से बापनागगौ० , दुर्गाने , दुगोंने .. " " " " ३-रत्नावती से भाद्रगौ० ,, रूगाने , " " " ४-कीराटंकुप से अदित्यनाग० , मालाने , ५-मथुरा से श्रेष्टिगोत्राय पोलाकने , ६-डामरेल से श्रेष्टिगोत्रीय यशोदित्यने ,, ७-वीरपुर से भाद्रगोत्रीय नारायणने ,, ८-सोवटी से तप्तभट्टगी। , लुम्बाने , ९-भरोचनगरसे करणागोट० , हेमाने , १०-स्तम्भनपुर से प्राग्वट वंशी , चताराने , ११-चन्द्रावती से प्राग्वट वंशी गमनाने , १२-दशपुर से बापनागगी० गोमाने " " " १३-मालपुरा से लघुश्रेष्टिगौ० , वरधाने " " " " १४-श्राघाटनगर से लुंगगौर , उमाने , " " १५-उपकेशपुर से श्रेष्टिगो० ,, मंगलाने , , , इनके अलावा भी कई छोटे बड़े तीर्थों के संघ निकले थे और भावुक भक्तलोगों ने संघस्वागत एवं पहरामणी देने में खुल्लेदील से लाखों रूपये खर्चकर अपनी आत्मा का कल्याण सम्पादन किया था-- प्राचार्यश्री के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्टाएँ १-मुग्धपुर के मल्लगौत्री शाह चेनके बनाये महावीर मं० ६-नारायणपुर के श्रेष्टिगौ० शाह फूवाके ३-फपीलपुर के श्रेष्टिगौ० , , पाव ४-हातरवा के भूरिगौ० , ५-दुर्गपुर के चोरलिया. करणके शान्ति ६-विराटपुर के बापनाग० क्षेमाके आदीश्वर ७-कंदोलिया के सुचंतिगी० खूमाके सीमंधर ८- दान्तीपुर के श्रीश्रीमाल० , धीगाके श्रष्टापदक ९-रोवाट के लघुश्रेष्टि देवाके महावीर १०-दसपुर के बलाहगौ० " धवल के ११-नंदरोल के कुमटगो. पोमाके १२-कोपसी के चिंचटगौ० , मालाके " [आचार्य श्री के शासन में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाए चूड़ाके लुम्बाके " " ८७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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