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आचार्य ककरि का जीवन
[ ओसवाल संवत् ८४०-८८०
दीक्षा ली
काजामाला
राणाने सूरिजी के पास जाखड़ने पेथाने पाताने जोधाने शंकरने रूपणसीने रावलने भाखरने भैराने पाताने कुबेराने
सारंगने
१०-नारदपुरी के सुचंतिगी० ११-बधोसी के श्री श्रीमाल १२- कालोडी के प्राग्वटवंशी १३-मादरी के प्राग्वटवंशी
४-कोरंटपुर के श्रीमालवंशी , १५ -सिद्धपुर के ब्राह्मण १६ - टेलीग्राम के लघुश्रेष्टि १७ --शिवपुरी के करणाटगौ० १८-भरोंच नगर के कुंमटगो) । १९-सोपार पट्टन के कनौजिया० , २०-हाकोड़ी के भाद्रगौ० २१-हषपुर के श्रेष्टिगौ० , २२-उज्जैन
श्रेष्टिगौ० २३-माडव्यपुर के चिंचटगौ० २४-खटकूप नगर के पुष्करणागौ० , २५-मुग्धपुरे के कुलभद्रगोल , २६-मेलसरा के विरहटगौ० , २७-आशिका दुर्ग के भाद्रगौ० शाह २८-नागपुर के चिंचटगौः ।, २९-हंसावली के डिडूगोत्र , ३०-शाकम्भरी के बाप्पनाग० , ३१-पद्मावती के श्रेष्टिगौर । ३२-रोहती के चोरलिया। ३३-पुष्कर ३४-मथुरा के प्राग्वटगो , ३५-गरगेटी
सलखणने सरवणने पृथुलेनने डायरने नागसेनने
सुरजणने हाप्पाने
हरगजने पोलाकने मुकन्दने जोराने कुम्माने खेतसी ने
___ यहां केवल एक एक नाम देखके पाठक यह नहीं समझ ले कि उपरलिखी नामावली वाले एक एक व्यक्ति ने ही दीक्षा ली थी पर इनके साथ बहुत से भावुकों ने दीक्षाली थी पर यहाँ वंशावलियों के लेखा नुसार मुख्य पुरुष का ही नाम लिखा है यदि सूरिजी और आपके मुनियों के हाथों से सेकड़ों नरनारियां की दीक्षा हुई उन सब नाम लिखा जाय तो एक खासा प्रन्थ उन नामावलियों से ही भर जाय अतः यहा पर तो प्रायः उपकेशवंशियों के ही नाम उल्लेख किये है अतः इस नमूने से पाठक स्वयं समझ लेंगे।
आचार्यजी के शासन में भावु कों की दीक्षा ]
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