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________________ [ ६१ ] १२-बारहवा चतुर्मास राजगृह में व्यतीत किया बाद विहार कर चम्पानगर में पधारे उस समय कणिक की राजधानी चम्पा में थी भगवान् का प्रवचन श्रेणिक के पौत्रे पद्म महापद्मादि १० ने दीक्षा ली और जिनपालितादिने भी दीक्षा ली शेष ने श्रावक व्रत लिया वहां से काकन्दी में क्षमेक घृतहरादिने दीक्षाली । . १३-तेरहवा चतुर्मास प्रभुने मिथिला नगरी में किया बाद विहारः-इस समय वैशाला रणभूमि बनी हुई थी कुणिक चेटक का संग्राम हुआ पुत्र की मृत्यु सुनकर काली श्रादि श्रेणिक की दश राणियों ने दीक्षा ली। १४-चौदहवा चतुर्मास भगवान् का मिथिला में हुआ बाद विहार-वैशालो के निकट होकर श्रावस्ति की तरफ विहार मार्ग में हल विहल्ल की दीक्षा तथा भगवान और गोसाला का मिलाप जमाली का मतभेद भी उसी वर्ष हुआ। १५-पन्द्रहवा चतुर्मास पुनः मिथिला में किया बाद विहार किया। कैशी-गौतमका श्रावस्ति में शास्त्रार्थ शिवराजाष सातद्वीप सातसमुद्र कहने वालाकों दीक्षा दी अग्निभूति वायुभूति के वैकुघणा के प्रश्न । __ १६- सोलवा चतुर्मास वाणिज्य प्राम नगर में किया बाद बिहार आजीविका के प्रश्न तथा श्रावक के ४९ भंगों के प्रत्याख्यान और गोसाल के १२ श्रावक मुख्य । १७-सत्तरहवां चतुर्मास राजगृह नगर में किया। विहार कर चम्पा पृष्टचम्पा में पधारे वहाँ शाल महाशाला की दीक्षा पुनः चम्पा कामदेव का उपसर्ग और उनकी प्रशंसा की वाणिज्य प्राम का सोमल ब्राह्मण ने प्रभु से यात्रादि के प्रश्न किये ।। १८-अठारहवा चतुर्मास वाणिज्य प्राम में किया बाद विहार कर काम्पिलपुर गये अंबड सन्यासी को प्रतिबोध एवं भावक के व्रत दिये । ___ १९-उन्निसवां चतुर्मास वैशाली नगरी में किया बाद विहार कर वाणिज्य नगर में पधारे वहां पार्श्वसंतानिय गंगइयाजी आपको प्रश्न पुच्छे समाधान होने पर चार के पांच महाव्रत धारण किये । २०-बीसवां चतुर्मास वैसाली में किया श्रुत-शिल की चौभंगी अन्यतिथियों के प्रश्न केवली के भाषा के विषय का प्रश्न मंडूक श्रावक और अन्यतिर्थियों के प्रश्न मंडूक की प्रशंसा। २१-इक्कीसवां चतुर्मास राजगृह में वहाँ कालोदाइ के प्रश्न तथा उदकपेडाल के प्रश्न जाली मायली आदि निप्रन्थों ने विपुल पर अनसन किया। २२-बाईसवां चतुर्मास राजगृह में ही किया । विहार वाणिज्य नगर में सुदर्शन सेठ ने काल के विषय के प्रश्न ( महाबल का भव ) दीक्षा तथा आनंद का अनसन और गौतम का आनन्द के पास जाना अवधि ज्ञान के विषय प्रश्न । २३-तेईसवां चतुर्मास प्रभु ने वैशाला नगरी में व्यतीत किया बाद प्राम नगरों में प्रवचन का प्रचार करते हुए साकेत नगर में पधारे-वहाँ जिनदेव के द्वारा राजा किरात भगवान् के पास आया उसको दोक्षा दी । वहां से विहार कर मथुरा शौरीपुरादि प्रदेश में धर्म प्रचार करते हुए। ___ २४-- चौवीसवां चतुर्मास प्रभु मिथिला में व्यतीत किया बाद विहारकर राजगृह पधारे अन्यतिर्थियों के प्रश्नों का समाधान । तथा कालोदाई के शुभाशुभ कमों के विषय के प्रश्नों के उत्तर । अचित पुद्गलों के प्रश्नों के उत्तर इत्यादि। २५-पच्चीसवां चतुर्मास प्रभु ने गजगृह में किया-बाद वहां से जिनपद में विहार किया गौतम Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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