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आचार्य ककसूरि का जीवन ]
के सुचंति
६ - खटकुंप ७ - मेदनीपुर के भद्र ८ - नागपुर
९ - पद्मावती के सुघड़
१० - कोरंटपुर के प्राग्वट
११ - भीन्नमाल के श्रीमाल
के प्राग्वट
१२ - सत्यपुर के श्रेष्टि १३ – चिचोड़ १४ - चित्रकोट के भूरि १५ - लाकोटी के ब्राह्मण
के बाप्पनाग के श्रीमाल
गौत्रीय शंख ने वंशीय कानड ने
१६ - उज्जैन १७ - सोपार १८- डाबरेल के चरड़ १९ – करणावतीके प्राग्वट २० -- मडोनी के ब्राह्मण २१ -- मथुरा २२ -- खंडपुर २३ - जोगनीपुर के २४ - सालीपुर के
गौत्रीय वीरम ने वंशीय भाखर ने श्रीकण्ठ ने
के श्री श्रीमाल
के प्राग्वट
गौत्रीय बैना ने वंशीय जोधा ने गोत्रीय मंत्री मुरारने
श्रेष्टि आदित्य नाग गौत्रीय मंत्री रणधीर ने क्षत्रीय वंशीय
२५ - कोकाली के
मोकलदेव ने
२६ - आनन्दपुरके
प्राग्वट वंशीय
विरधा ने
२७ - हल
के
सोनी जाति के
सीताराम ने
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इनके अलावा कई पुरुष तथा बहुत सी वेहनों की दीक्षा का वर्णन भी पट्टावलियों में किया है पर प्रन्थ बढ़ जाने के भय से सब का नाम नहीं दिया है पर यह बात सादी और सरल कि इस प्रकार दीक्षा लेते थे तव ही तो हजारों साधु साध्वियों प्रत्येक प्रान्त में विहार कर धर्मोपदेश दिया करते थे ।
आचार्य श्री कसूर के शासन में तीथा के संघ -
के चोरडिय
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गौत्रीय नन्दा गौत्रीय रामा
ने
जाति के चतरा ने
तीर्थों की यात्रार्थ भावुकों का संग ]
गौत्रीय करणा ने
वंशीय
धन्ना ने
वंशीय धरण ने
गौत्रीय हाना ने वंशीय धरण ने
गौत्रीय मुसल ने ब्रह्मदेव ने
[ ओसवाल संवत् ६३५-६६०
दीक्षा ली
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१- भीनमाल नगर से श्रीमाल वंशीय खरत्था ने श्री शत्रुञ्जादि तीर्थो का संघ निकाला जिसमें तीन हजार साधु साध्वियों और लाखों श्रावक थे इस संघ में शाह खरस्थाने चौदह लक्ष द्रव्य व्यय किया साधर्मी भाइयों को सवासेर के लड्डू और पांच पांच सोना मुहरो तथा वस्त्रों को पेहरामणि दी
२ - सोपरपुर पट्टन से प्राग्वट सुरजण ने श्री शत्रुञ्जय गिरनारादि तीर्थों का संघ निकाला जिसमें ५२ देरासर थे कई पंचवीसौ साधु साध्वियों और साधिक एक लक्ष यात्रुगण थे संघपति सुरजण ने इस संघ में एक कोटी द्रव्य व्यय किया साधर्मी भाइयों को सोना की कटियों और पांच पाचा सोना मुहरों लेन
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