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________________ आचार्य रत्नप्रभसूरि का जीवन ] १३ -- खर खेटी के श्रीमाल वंशी १४ - रावुरी के क्षत्रीय वीर १५ - पादलिप्त के तप्तभट्ट गौ० १६ - उरजूनी के करणाटगौ १७- कररणावतीके करणाटगौ ० नागा अर्जुन हरपाल ने " 99 धरण ने देदा WWW नारा ने रणछोड़ ने नारायण सालग ने माना ने ने ५ - नारदपुरी के सुंचितगौ "" " ६ - पाटली के प्राग्वट ७ - कीराटकुंप के राव - गोपाल ने ( - पालिका के कुलभद्र गौ: १- - श्रीनगर के श्रष्टिगौत्र १०- - खटकूपपुर के चिंचट गौ० "" "" "" सल्ह ढाढर ने मुकन्द ने कल्हण ने सुरजन ने हाडा ने १८ - मुग्धपुर के मोरक्ष गौः १९ - नागपुर के सुचती गो० २० - पाल्हीका के बोहरा शाह २१ - दुर्गापुर के मंत्री २२ - शंखपुर के सोनी गौत्रीय २३ -- क्षत्रीपुर के सुघड़ गौत्रीय २४- स्वटकूप के मल गौत्रीय २५ - क्षान्तिपुर के चरड़ गौत्रीय २६ - खेड़ीपुर के लुंग गौत्रीय २७ - उपकेशपुर के श्रेष्ट गौत्रीय २८ - धोलपुर के कुलभद्र गौ० २९ - वीरभी के विरहगोत्रीय पुरा ने ," "" इनके अलावा कई बाइयों ने भी दीक्षा ली थी तथा आपके मुनि गण के उपदेश से भी बहुत नरनारियों ने दीक्षाएँ ली थी ये तो मैंने केवल पट्टावलियों से थोड़ा सा नाम लिखा हैं और पट्टावलियों में केवल उपकेशवंश वालों ने दीक्षा ली जिन्हों का ही उल्लेख किया है इनके अलावा इतर जातियों के लोगों को भी दीक्षा दिया करते थे परन्तु उन सब के उल्लेख मिलते नहीं हैं । शान्तिनाथ शाह श्रमरा ने आदीश्वर उरजन ने "" सूरिजी के पास दीक्षा ली 33 दहाड ने महावीर "" "" सूरिजी के करकमलों से मं० मू० प्रतिष्ठाएं ] ate & Personal Use Only Jain Education in 27 "" " "" 33 "" 39 "" "" 27 "" [ ओसवाल संवत् ५९९-६१८ "" 39 32 " "" "" आचार्यश्री के तथा आपके मुनियों के उपदेश से मन्दिरों की प्रतिष्ठाएं १ - नागपुर के आदित्यनाग० २- डिडुपुर के बाकुप्पनाग० ३ - नंदपुर के प्राग्वटवंशी मधु के बनाये पार्श्वनाथ मन्दिर० प्र शाह ने पार्श्वनाथ रहा ने महावीर ४ -- ब्राह्मणगाव के प्राग्वट करणाने सादा ने 33 भरखर ने पार्श्वनाथ 39 "2 37 56 " 15 99 "" 33 A "" 1234 99 ≈ 3 "" 53 "" "3 59 "" 55 ," 39 "" 33 "" 52 "" " 33 23 "" w६२९rary.org. www.
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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