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________________ ओसवाल जाति की ऐतिहासिकता ] [वि० पू० ४०० वर्ष चावड़ावंशियों का राज्य था। संभवतः हूणों से ही चावड़ा वंशियों ने भिन्नमालनगर का अधिकार छीन लिया होगा। पं० हीरालाल हंसराज ने अपनी “जैनगोत्रसंग्रह" नामक पुस्तक में लिखा है कि वि० सं० २०२ में भिन्नमाल पर अजीतसिंह नामक राजा का राज था। उस समय भिन्नमालनगर अच्छी श्राबादी पर था; परन्तु म्लेच्छ मीर मामोची ने इस नगर पर आक्रमण कर खूब लुटा था। खैर इसके पूर्व भिन्नमाल में किसका राज्य था ? इस सम्बन्ध में कोई ऐतिहासिक साधन उपलब्ध नहीं है पर पट्टावलियों के अनुसार वि० सं० के ४०० वर्ष पूर्व भिन्नमाल पर सूर्यवंशी राजा भीमसेन का राज्य होना सिद्ध होता है। इस प्रकार भिन्नमाल नगर की प्राचीनता सिद्ध करने के पश्चात् इस बात का स्पष्टीकरण कर देना आवश्यक है कि कुछ व्यक्तियों ने आबू एवं किराडू के उत्पलदेव परमार को और उपकेशपुर बसाने वाले भिन्नमाल के राजकुमार उत्पलदेव को एक ही मानने की भूल को है । पट्टावल्यादि प्रमाणों से भिन्नमाल के राजकुमार उत्पलदेव का समय वि० पू० ४०० वर्ष सिद्ध होता है। तब किसी कारणवश आबू के उत्पलकुमार परमार को जिसका कि समय वि० की दशवीं शताब्दी है-उपकेशपुर ( ओसिया) के प्रतिहारों का आश्रय लेना पड़ा हो और-पश्चात् वह वापिस अपने नगर लौट गया हो। ऐसी दशामें ऐसा भ्रम करलेना कि उत्पलदेव परमार ने ही दशवीं शताब्दी में उपकेशपुर (ओसिया) बसाया होगा, अक्षम्य भूल है क्योंकि यह बात तो साधारण मनुष्य की समझ में भी आ सकती है कि जब उत्पलदेव परमार श्रोसियों में आकर प्रतिहारों की शरण में रहा था तब श्रओसियां उस समय से कितना प्राचीन होगा कि जिसमें उत्पलदेव परमार ने आकर श्राश्रय लिया था। दूसरे ओसियों के महावीर मन्दिर में वि सं १०१३ का शिलालेख लगा हुआ है उसमें लिखा है कि: तस्या कापत्किल प्रेम्णालक्ष्मणः प्रतिहारताम् ततोऽभवत् प्रतीहार वंशोराम समुद्भवः ॥६॥ तद्वंशे सबशी वशीकृत रिपुः श्रीवत्सराजोऽभवत्कीर्तिर्यस्य तुषार हार विमला ज्योत्स्नास्तिरस्कारिणी नस्मिन्मानि सुखेन विश्व विवरे नत्वेव तस्माद्वहिनिर्गन्तुं दिगिभेन्द्र दन्त मुसल व्याजाद काळेंन्मनुः ॥ ७ ॥ समुदा समुद्रायेन महता चमूःपुरा पराजिता येन.... 'समदा ॥ ८ ॥ ........ 'समदारण तेनावनीशेन कृता भिरक्षैः सद् ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्रैः । समेतमेतत्प्रथितं पृथिव्यामृकेशनामास्ति पुरं गरीयः ।। ९ ॥ जैनलेख संग्रह खंड पहिला पृष्ट १६३ इस शिलालेख में उपकेशपुर में प्रतिहार वत्सराज का राज होना लिखा है । जब वत्सराज प्रतिहार का समय विक्रम की आठवीं शताब्दी का है अतः आठवीं शताब्दी में उपकेशपुर अच्छा आबाद था, फिर भी वह आठवीं शताब्दी में ही नहीं बसा था पर उस समय से भी बहुत प्राचीन था जो हमारी पट्टावलियों में विक्रमपूर्व चारसौ वर्ष से भी पूर्व बसा लिखा है । अतः यह शंका करना व्यर्थ है कि बाबू के परमार उत्पलदेव ने वि० की दशवीं शताब्दी में ओसियां बसाई थी। यदि यह भूल उपकेशपुर बसाने वाले राजकुमार उत्पलदेव को परमार समझ लेने से ही हुई हो तो इस लेख में संशोधन कर लेना परमावश्यक है। दूसरी शंका उपकेशवंश का नाम रूपान्तरित होकर "श्रोसवाल" शब्द से व्यवहार में आने से उत्पन्न हुई है। इस सम्बन्ध में हमें यह देखना चाहिये कि "ओसवाल" शब्द की उत्पत्ति किस समय में Jain Education International For Private & Personal Use Only १७९ www.simary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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