________________
वि० पू० ४०० वर्ष]
[भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास स्थापन करी औशवाल बनाव्या। तथा तेमणे श्रीमाली वंशनो स्थापना करी । तेऔनौ उपकेश वंशनी स्थापना करी तेथी तेऔना गच्छनु उपकेश नाम प्रसिद्ध थयु। उपकेशगच्छमाँ धर्म धुरंधर महा प्रभावक अनेक आचार्यो थया छ ।
जैन गच्छ मत प्रबंध पृष्ठ ७ ७-"भेष्टलुं तो निर्विवाद सिद्धथई चूक्यो छे के ओसवाल जाति नो जन्मस्थात एज श्रोसियां छे पहला जमाना में ज्योरे श्रोसियों नो नाम उपकेशपुर हतो त्यारे श्रोसवालजाति नो नाम पण उपकेशवंशज हतो अने आ उपकेशवंश नो जेटलो सम्बन्ध उपकेशपुर ने साथे छे तेटलोज सम्बन्ध उपकेशगच्छ ने साथ छै केम के जेम उपकेशपुर उपर थी त्याना रहेवासी लोगों नो नाम उपकेशवंश थया छ तेमज उपकेशपुर में प्राचारपतित क्षत्रिय लोगों ने जैन बनाब्या तथा त्यारे पच्छि तेओ ना साधु गणी बख्त उपकेशपुर तथा तेना आस पासना प्रेदेश में विचरवा थी तेओनुनाम उपकेशगच्छ थयो छै जेम के वल्लभी में रहवा थी ते साधु वल्लभी गच्छाना शंखेश्वर ने आसपास विहार करवां थी शंखेश्वरगच्छ वायटग्राम ने आस पास रहवा थी वायटगच्छ अने संडेरा ग्राम में रहवा थी तथा तेने आस पास भ्रमण करवा थी सांडेरागच्छ ना कहवाया था प्रमाणे उपकेशपुर में वधारे समय रहवा थी तेम तेने श्रास पास विचरवा थी उपकेशगच्छ कहेल छे हिवे ओसवाल बनवानो समय जोवानो रहे छे अने माटे पट्टावल्यादिप्रन्थों मां वीर निर्वाण थी ७० मा वर्षनो उल्लेख मिले छ अने ते विल्कुल निराधार पण नथी केमके ओसियांना एक भग्न देहराना खण्डहर में चन्दाप्रभुनी मूर्ति ने नीचे एक खण्डित लेख अमे अमारी नजरो थी जोव्यो ? अने तेने अन्दर वि० सं०६०२ नो संवत छे तेमज
आदित्यनागगौत्र पण लिखेल छै शेषभाग खण्डित थइ गयो छे छतां अटलु तो निश्चय थइजायछ के वि० सं० ६०२ पहला श्रा जाति नो अस्तित्व बहु प्रमाण मां थावो जोइये ।
जैनो ने बुद्धिवाद नो देवालो काढीनाक्यो होय तेम लागे छे अटला माटेज तेश्रो अकेला तर्क वाद थी कहे छ के ज्या सुधी ऐतिहासिक प्रमाण न मिले त्यां सुधी अमोए श्रा बात ने मानवामाटे तैयार नथी। भले तेओ माने के न माने आथी कांइ बलवानो नथी केमके बधो शांसन तेओनेज ऊपर अवलम्बित नथी अगर भा प्रमाणे ऐतिहासिक प्रमाण बिना कोई पण वस्तु नज मानी शकाय तो वधी पट्टावलियो झूठी ठहरशे । चरमकेवली जम्बुस्वामी अने प्रभावस्वामी ने माटे पण कोई ऐतिहासिक शिलालेख वतावशे खरू के ? अगर ऐतिहासिक प्रमाण न मिले तो शु ते बातों ने असत्य मानाशे ? नहीं ! नहीं !! कदापि नहीं !!!
बीजी बात श्रा छे के थोड़ी देर ने माटे अमे श्रेम मानिलइए के वीरात् ७० वर्ष श्रोसवाल न थया होय तो पछी श्रोसवाल जाति क्यारे थई ? अने तेने माटे पण कांइ समय तो निश्चित करोज पड़से अने श्रेम न होय तो अम कहो के आ ओसवाल जाति आकाश मां थी उतरी आवी छे पण श्रेटलु लो केउ जोइये के ते दिवस क्या वर्ष क्या मास नो हतो बुद्धिनो देवालो अमे अटला माटेज कहीए छए के जे प्रमाण जैन पट्टावल्यादि प्रन्थों मा मले छे तेने तो तेओ मानता नथी अने पोताने पासे किसु पण प्रमाण जड़तो नथी पाची केवल न कामी तर्क करवा थी शु. वलवानो छे इत्यादि।
"धर्मरत्न" ८-जैनाचार्योबेलखेली जूनी पट्टावलियों अने प्रशस्तिोमा अवां सैकड़ों प्रमाण मली आवे छे के जेमां जैनाचार्योना सिंधमा विचरवाना उल्लेखो मले छे। जूनामां जूनु प्रमाण वि० सं० पूर्वे लगभग ४०० वर्ष ना
Jain Edmonternational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org