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ओसवाल जाति की ऐतिहासिकता ]
वि० पू० ४०० वर्ष ]
श्रीउपकेशवंश की व्युत्पत्ति और उपकेशगच्छ का वास्तविक
अर्थ
मूलकर्त्ता - खरतरगच्छीय पं० वल्लभगणि ( वि० सं० १६५५ )
थ - केश शब्दस्यार्थः लिख्यते
१ मूल - इशिक ऐश्वर्ये ओकेषु गृहेषु इष्टे पूज्यमाना सती या सा ओकेशा, सत्यका नाम्नी गोत्र देवता । अत्र ओक शब्दः अकारान्तः तस्यां भवस्तस्या अयमिति वा ओकेशः । भवे इत्य प्रत्ययः, तस्येदमित्यनेन वा अण् प्रत्ययः । सत्यका देवीहि नवरात्रादिषु पर्वसु अस्मिन् गणे पूज्यते सा चास्यगणस्य अधिष्ठात्री अतएवाऽस्य गच्छस्य ओकेश इति यथार्थं नाम प्रोद्यते सद्भिरिति प्रथमोऽर्थः ॥ १ ॥
हिन्दी अनुवाद - मूल शब्द ओकेश में दो भिन्न पद हैं जैसे- " ओक-ईश" इनमें ईश शब्द की व्युत्पत्ति इशिक ऐश्वर्य्यवाची इस धातु से होती है और श्रोक का अर्थ है घर । जो श्रावक श्रादिकों के घरों में पूज्यमान हो करके ऐश्वर्य को प्राप्त हो उसे ओकेशा कहते हैं । यह श्रोकेशा सत्यका के नाम से प्रसिद्ध एक गोत्र देवी है । "इस जगह सकारान्त ओकस शब्द का प्रहण न कर अर्थ संगति की सुविधा के लिए अकारान्त शब्द का ग्रहण किया है जो ध्यान में रहे" और जो गच्छ ओकेशा देवी के नाम पर प्रसिद्ध हो या उसका उपासक हो उस गच्छ को "ओकेशः " ऐसा कह सकते हैं । यहाँ व्याकरण नियम से "भवे" इस अर्थ में या ‘तस्येदम्” वह उसका है इस अर्थ में सूत्रादेश से अण प्रत्यय होता है। इस ओकेश ग में नवरात्रादि पर्वों के प्रसंग पर सत्यकादेवी की घर घर पूजा होती है क्योंकि वह देवी इस गण की अधि ष्ठात्री देवी है और इसी से इस गच्छ का नाम यथार्थरूप से "केश" यह सज्जनों द्वारा कहा जाता है। यह केश शब्द का पहिला अर्थ हुआ ? ||
२ मूल - ईशनमीशः ऐश्वर्यं ओकैर्महर्द्धिक श्राद्धममुखलोकानाँगृहैरीशो यस्यां सा ओकेशा ओसिकानगरी । तत्र भवः ओकेशः । ओसिका नगर्या हि अस्य गणस्य ओकेश इति नाम श्री रत्नप्रभसूरीश्वर तो विख्यातं जातम् । इति द्वितीयोऽर्थः ॥ २ ॥
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हिन्दी अनुवाद - ईशनं याने ईश = ऐश्वर्य्य । तथा ओकै - श्रर्थात् महाधनिक श्रावक आदि मनुष्यों के घरों से युक्त है ऐश्वर्य जिसमें ऐसी श्रोशा "ओसिका" नाम की नगरी, और उस नगरी में पैदा हुए गच्छ का नाम ओकेश | क्योंकि इसी नगरी से ही इस गण का नाम "ओकेश" ऐसा श्री रत्नप्रभसूरीश्वर से विश्व में विख्यात हुआ है । यह श्रीकेश शब्द का दूसरा अर्थ है ||
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