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भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
उपकेशपुर में एक कोटीधिश ब्राह्मण के पुत्र को सांप काट खाया था इसके बहुत उपाय किये पर
कुच्छ इलाज नहीं लगा। आखिर स्मशान ले जा रहे । पृष्ठ १०७
आचार्य रत्नप्रभसूरि के पास आकर अर्ज की कि यदि आप हमारे पुन को जीलादें तो हम और हमारी वंशपरम्परा आपके श्रावकों के सदृका श्रावक बनकर भक्ति करेंगे । अतः सूरिजी ने अपने योग से उसे
निर्विष बना दिया और १८००० लोगों को जैन बनाये पृष्ठ १०८
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