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भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास----
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उपकेशपर में महावीर मन्दिर की तथा कोरंटपुर में भी महावीर मन्दिर की एक ही साथ में आचार्य रत्नप्रभसूरि ने वीरात् ७० वर्ष माघशुक्ल पंचमी गुरुवार धनुर्लग्न में प्रतिष्ठा करवाई । आचार्यश्री ने वैक्रयलब्धि से दो रूप बनाये थे । पृष्ट १०५