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भगवान् पाश्वनाथ की परम्परा का इतिहास
भूमि से महावीर मूर्ति निकाल कर एवं हीरा पन्ना पुष्पादि से पूजा कर बड़े ही जूलूस के साथ हस्ती पर आरूढ़ कर नगर प्रवेश करवाया पर कुच्छ जल्दी निकालने से मूर्ति के वक्षस्थल पर निंबुफल सदृश दो ग्रंथियों रह गई । वह इस समय भी विद्यमान है । पृष्ठ १०४