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भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
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मौरात्रिी के समय सूरिजी के साथ भक्त लोग पूजा के लिये देवी के मंदिर में गये। देवी ने कड़द-मड़द (मांस मदिरा) न देख कर कोप किया पर सूरिजी ने हित वचनों से देवी को प्रतिबोध देकर सम्यक्त्व धारणी
बनाई । और भी बहुत लोगों ने जैन धर्म स्वीकार किया । पृष्ठ ९८
D.C/MALI
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