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भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
आचार्य रत्नप्रभसूरि और वाममागियों के आपस में राजसभा के अन्दर शास्त्रार्थ हुआ जिसमें वाममागियो
का बुरी तरह से पराजय हुआ। पृट ९१
सूरिजी ने अपने भक्तों को हिंसक देवी के मन्दिर में जाने से रोक दिये अतः देवी ने आचार्य श्री के नेत्रों में वेदना करदी। जब चार देवियों ने आकर चामुंडा को खूब फटकारी तब उसने माफी मांगी। पृष्ट ९७