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चतुर्विध श्रीसंघ की स्थापना गणधर - द्वादशांग की रचना मरीची का मद - अहंकार अठार भाइयों की दीक्षा भारत बहुबल का युद्ध बाहुबल की दीक्षा और ध्यान
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राम कृष्ण किस धर्म को मानते थे | पुष्करार्द्ध के तीर्थङ्कर कृष्ण बलभद्र की पूजा कब से ? पूर्व मनुष्यों का लम्ब शरीर ५२ दीर्घायुः विषय शंका का समाधान हरिवंश की उत्पति कब क्यों ? नारद का सम्राट् रावण के पास आना रावण द्वारा
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भारत का प्रभु पास जाना ६ भाइयों के लिये भोजन वृद्ध श्रावकों को भोजन कर० प्रभुके उपदेश का सारांश भारत द्वारा चार आर्य वेद ४६ वृद्ध श्रावकों द्वारा प्रचार वृद्ध श्रावकों के हृदय पर कांगणी येरत्न से जनोउ का चिन्ह म हो उपदेश से माहण कहलाये भरतने अष्टापद पर २४ मन्दिर सिंहनिषेधा प्रसाद ६८ भाइयोंका भरत के छ खण्ड का राज होने पर श्री प्रभु ने कहा तु मोक्ष जायगा एक पुरुष को शंका तेल का कटोरा रिसा के भुवन में केवल ज्ञान भ० अजितनाथ तीर्थङ्कर चक्रवर्ति सागर के पुत्रों द्वारा तीर्थ श्री अष्टापद के चारों और खाई बनाना ।
यज्ञ का विध्वंश पर्वत वसु और नारद दो नरकगामी एक स्वर्ग गामी पीट के कुर्केट को मारना वसुराज असत्य बोलने से नरक पर्वत महाकाल की सहायता यज्ञ एवं पशुहिंसा का मत चलाया पीपलाद ने मातृपितृमेधयज्ञ यमदग्नि तापस की परीक्षा
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का रेणुका के साथ लग्न पुत्र के लिये चारू साधना परशुराम का जन्म
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संभूमि चक्रवर्ति की विस्तृत कथा नमूचीबल प्रधान की करतूते विष्णुकुमार मुनि द्वारा सजा ५८ धर्म की रक्षार्थं लब्धि प्रयोग भ० महावीर के तीर्थङ्करावस्था के ३० चतुर्मास कहा कहा हुए महाविदह में उ० १६० तीर्थङ्कर जम्बुद्वीप में तीर्थङ्कर
जन्म समय ५६ दिक्कुमारी भेरूपर स्नात्र ६४ इन्द्र अभिषेक की संख्या २५० ती० रूप और बल की तुलना ती० वर्षी दान की संख्या ती० तपश्चर्य और परणा के दिन तो० शासन में उत्कष्टतप ती० अष्टादश दोष वर्जित ती० चौतीस अतिशय ती० पैतीस वाणी के गुण वी० अष्ट महाप्रतिहार्य वीसविहरमानों के जन्मादि तिथियाँ विजयादि कई बोल तीर्थकरों के अलावा ३६ सिला का पुरुषकाकोष्टक में १० - बोल ८० ग्यारा रूद्र के कोष्टक ४-४ बोल
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भारत में तीन चौवीसी एरवत में धारतकी खण्ड में तीर्थङ्क
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रक्षार्थ गंगा की एक नहेर लाये ऋषभदेव से सुबुद्धि० का शासन जैनधर्म विच्छेद व ब्राह्मणों की सत्ता वेदों के नाम-भाव बदल देना दशावतार की कल्पना इसमें ४६ ऋषभ अवतार नहीं माना है बाद २४ अवतारों की कल्पना ऋषभदेव आठवा अवतार भगवत पुराण में ऋषभ की कथा भगवान पुराण कब किसने बनाया
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पूर्व भरत की तीन चौवीसी
पश्चिम
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पूर्व एरवय तीन चोवीसी
पश्चिम
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पूर्व भरत ती तीन चौबी
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पश्चिम " ·
पूर्व एरवय पश्चिम,"
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प्रत्येक तीर्थङ्कर के ६६-६६ बोल विहारमान के ६-६ बोल
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भ० ऋषभदेव १३ भव नाम चन्द्रप्रभ के शान्तिनाथ के १२ मुनिसुव्रत के नेमिनाथे के पार्श्वनाथ के १० महावीर के २७ तीर्थङ्कर नाम के २० कारण
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नारद के कोष्टक ६-६ मूल ग्रन्थ की विषया नु द्रव्य सहायकों की शुभ नामा० पहले ग्राहकों की शुभ नामा०
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