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भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
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२३१ ग्रन्थों के लेखक
इतिहासप्रेमी - मुनीश्रीज्ञानसुन्दरजी महाराज
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आपश्रीने माता भाई और स्त्री आदि कुटम्ब को त्याग कर २५ वर्ष की युवकावस्था में स्था० सा० दीक्षा ली बाद ६ वर्ष के संवेगपक्षी दीक्षा लेकर जैनशासन की बहुत २ सेवा की साहित्य प्रचार का तो आपको बड़ा ही शोक है । जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण आपने अपने जीवन में छोटे बड़े २३१ ग्रन्थ लिख कर प्रकाशित करवाये ।
जन्म
१६३७
स्था० दीक्षा
१६६३
C...........Privat
संवेगपक्षी
१६७२
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