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भगवान् पाश्र्वनाथ की परम्परा का इतिहास
आचार्य रत्नप्रभ सूरि ५०० मुनियों के साथ अनेक कठिनाइयों को सहन करते हुए उपकेशपुर पधारे और
लुणाद्रि पहाडी पर ध्यान लगा दिया। पृष्ठ ७०
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आचार्य रत्नप्रभ सूरि के दो तपस्वी साधु उपकेशपुर में भिक्षार्थ गये एक घर में प्रवेश किया वहाँ निर्दय
लोग जीवों को काट रहे थे और मांस मदिरा को प्रचुरता देख मुनि वापिस लौट आये । पृष्ठ ७०
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