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भगवान पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
आचार्यस्वयंप्रभसूरि के शिष्यों में दो मुनि मासोपवासी तपस्वी भिक्षार्थ श्रीमाल नगर के, एक घर में प्रवेश
किया तो वहां माँस मदिरा एवं जीव का वध होता देख वापिस लौट आये। पृष्ठ ५२
आचार्य स्वयंप्रभसूरि श्रीमाल नगर की राजसमा में जाकर राजा प्रना को धर्मोपदेश दिया और यज्ञ में
बलिदान होने वाले सवालक्ष जीवों को अभयदान दिलाकर ९०००० घरवालों को जैन बनाये । पृष्ट ५२amy.org